By Agents of Ishq
Jan 23, 2024
मैं 20 साल की हो चुकी थी और अब तक मेरा पहला किस भी नहीं हुआ था। यह मेरे लिए बहुत शर्म की बात थी। मुझे सिर्फ महिला मित्रों को नशे की हालत में दिए गए किस के अलावा कोई अनुभव नहीं था।
इन सबके बीच फ्रेंड्स ग्रुप में टिंडर का दौर आया। सभी उस पर सक्रिय थे और मैं भी। मैं उसके ज़रिए आर से बंगलौर में मिली। खाने के बाद जब हम एक पेड़ के नीचे बैठे तब मैं भांप चुकी थी कि बातचीत तो बस एक बहाना था। दरअसल, वह मुझे किस करने वाला था। मैं उससे जुड़ भी नहीं पाई थी फिर भी मैं तैयार थी।
सने मुझे कई बार होटल रूम में चलने को कहा लेकिन मैंने हर बार मना किया। तभी उसे एक पार्क दिखा, मैं भी थोड़ा और अनुभव करने को उत्सुक थी इसलिए हम वहां चले गए। उसके हाथ सीधे मेरे जांघों के बीच चले गए। मैंने उसे रोका लेकिन उसके हाथ फिर मेरे शर्ट पर गए। मैंने उन्हें जाने दिया लेकिन मुझे वह पसंद नहीं आ रहा था।
अब जब मैं 22 साल की हो गई हूं, यह मेरे लिए एक लाल झंडे का संकेत बन गया है कि एक साथी छोटी-छोटी चीज़ों में भी सहमति का महत्व समझने में सक्षम नहीं है। इस सब की राजनीति अगर नज़रअंदाज़ कर दें फिर भी मुझे ऐसी स्थिति परेशान करती है, जहां सहमति का ध्यान ना रखा जाए क्योंकि मैं खुद को उस जगह रखकर देखती हूं।
अगर मेरा पार्टनर किसी भी तरह की असुविधा दर्शाता है, चाहे वह छोटा-सा ही इशारा हो मैं ठहर जाती हूं। जिस चीज़ से मेरे पार्टनर को आनंद ना मिले, मुझे वह करने में प्रसन्नता नहीं होगी। उस रात के बाद मैं किसी पुरुष से नहीं मिलना चाहती थी। सेक्स की जो तस्वीर मेरे मन में बन चुकी थी, वह मुझे पसंद नहीं आ रही थी। मैं मानती हूं कि कुछ समय के लिए मुझे खुद से ही घृणा हो गई थी।
मुझे उस अनुभव से काफी कुछ सीखने के लिए मिला। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि अब मुझे अच्छे से पता है मुझे क्या चाहिए। मैंने जाना है कि वास्तव में मुझे सेक्स की परवाह नहीं है, अगर सामने वाला व्यक्ति मुझे बस मुख मैथुन देने की मशीन समझे। उन्माद के पलों से ज़्यादा मेरे लिए वह महत्वपूर्ण है, जिससे मैं उत्तेजित हो सकूं। हम एक दूसरे को जान सकें, सहयोग दे सकें और समझ सकें।
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