Malabika Dhar
8 August, 2023
स्तनपान के सिद्ध लाभों के बावजूद, डब्ल्यूएबीए (वर्ल्ड अलायंस फॉर ब्रेस्टफीडिंग एक्शन) की रिपोर्ट के अनुसार, छह महीने से कम उम्र के केवल 41 प्रतिशत शिशुओं को एक्सक्लूसिवली स्तनपान कराया जाता है। भारत में केवल 55 प्रतिशत बच्चों को ही एक्सक्लूसिवली स्तनपान कराया जाता है।
आम तौर पर समाज यह मानता है कि महिलाओं को बच्चे होते ही, स्तनपान करवाना प्राकृतिक रूप से आना चाहिए। पर स्तनपान प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं होती। कई बार इसमें मुश्किलें और चुनौतियाँ होती हैं।
नहीं मिलती स्तनपान से जुड़ी जानकारी या सलाह
चूंकि भारत में खुले तौर पर या परिवार के सामने breastfeeding को लेकर झिझक और शर्म काम करती है, इसपर आम तौर महिलाओं को सलाह या चिकित्सकीय देख-रेख नहीं मिलती।
स्तनपान हर महिला के लिए अलग अनुभव होता है। इस पूरे सफर को कई माँएं आराम से तय कर लेती हैं, जबकि कइयों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। माँ के बीमार होने पर स्तनपान न कराना, स्तनपान के दौरान सादा खाना खाने पर ज़ोर जैसे मिथक महिलाओं के इस सफर को और मुश्किल बना देता है।
स्तनपान में समुदाय और परिवार की भूमिका
स्तनपान आरामदायक और आसान हो, इसके लिए माँ के अलावा परिवार, समुदाय, स्वास्थ्य चिकित्सक, अस्पताल, महिलाओं के काम करने की जगह, सार्वजनिक जगह और माँओं के लिए बनाए गए कानून को प्रभावी और महिलाओं के समस्याओं के अनुरूप होना होगा और साथ देना होगा। यह सुनिश्चित करें कि माँ को सभी के सामने स्तनपान करा पाने की छूट हो और झिझक न हो।