By Prince Mukherjee
Sep 14 2022
एक रिपोर्ट के अनुसार, गौरैया की संख्या में 60-80% की कमी आई है लेकिन क्या आपको मालूम है कि यदि हमने थोड़ी सी कोशिश शुरू कर दी तो इस लुप्त होती प्रजाति को बचाया जा सकता है।
बिल्डर्स की बड़ी अहम भूमिका हो सकती है। बिल्डर्स को चाहिए कि जब वे अपनी प्रोजेक्ट डिज़ाइन करें तब उनमें ग्रीन एरिया छोड़ें जहां पर बड़े आराम से गौरैया रह सकें।
अपने घर की छत पर या किसी ऐसी जगह पर जहां पक्षियों के आने की संभावना होती है, वहां मिट्टी के बर्तन में पानी और गौरैया के लिए दाना रखें।
ध्यान रहे कि अगर हमारी खुशी से किसी को नुकसान पहुंच रहा है तो हम वो काम कतई ना करें। पतंग की डोर की ज़द में आने से पक्षियों की मौत होती है, जिनमें गौरैया भी होते हैं।
‘स्वच्छ भारत अभियान’ के संदर्भ में जब सरकार जागरुकता अभियान पर करोड़ों खर्च कर देती हैं तो गौरैया के संरक्षण पर भी कुछ तो ज़िम्मेदारी सरकार की भी बनती है।
पेड़ों पर गौरैये के घोंसलों को तबाह ना करें। उन्हें भी जीने का उतना ही हक है जितना आपको और हमको है। रेडिमेड घोसले बनाकर पेड़ों पर लगाइए।
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