By Malabika Dhar
17th July, 2023
सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 (आईटी नियम, 2021) भारत में क्यूरेटेड सामग्री वितरित करने वाली ओटीटी सेवाओं को नियंत्रित करते हैं।
शोध के अनुसार उपयोगकर्ताओं को लगता है कि टीवी या ओटीटी पर धूम्रपान सामग्री के चित्रण का धूम्रपान की प्रवृत्ति पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है। जब धूम्रपान की बात आती है तो दोस्तों या साथियों का प्रभाव और मानसिक तनाव सबसे प्रभावशाली कारकों में से एक होते हैं।
लोग स्क्रीन पर धूम्रपान के प्रति बहुत उदासीन हैं
शोध में हर तीन में से दो उत्तरदाता ओटीटी पर दिखाए जाने वाले धूम्रपान के कंटेन्ट के प्रति उदासीन थे। इसका मुख्य कारण यह है कि लोग मनोरंजन या फुरसत में ओटीटी से जुड़ते हैं, और ओटीटी पर दिखाए जाने वाले कंटेन्ट के कारण उनके व्यवहार या कार्यों में किसी भी बदलाव का प्रमाण बहुत कम है।
तंबाकू से जुड़ी सचित्र और धमकी भरी चेतावनियों (पीटीडब्ल्यू) के बार-बार संपर्क में आने से भय या घृणा जैसी भावनाओं में कमी आ सकती है पर चेतावनियों का लोगों के सिगरेट छोड़ने या कम करने के इरादे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है (Badie et al 2019)।
धूम्रपान को प्रभावित करने वाले तीन सबसे बड़े कारण
al-Kubaisy et al. (2012), Koushki and Bustan (2006) ने 'थ्योरी ऑफ ट्रियाडिक इन्फ्लूअन्स' के सिद्धांत पर प्रकाश डाला और यह तर्क पेश की कि उम्र या लिंग, परिवार या दोस्त, और स्कूल या समुदाय; युवाओं को धूम्रपान के लिए प्रेरित करने के तीन मुख्य बिंदु हैं ।
कई दर्शकों ने अतिरिक्त टेक्स्ट डिस्क्लेमर की आवश्यकता पर सवाल उठाए, क्योंकि उनमें से अधिकांश कंटेन्ट का विवरण और आयु-रेटिंग के बारे में पहले से ही जानते थे। 50% से अधिक लोगों ने बताया कि उन्हें नहीं लगता कि अतिरिक्त टेक्स्ट डिस्क्लेमर उनके देखने के अनुभव पर कोई नकारात्मक प्रभाव डालेंगे।