UPSC के मानसिक दबाव से कैसे खुद को बचाएं 

By Sparsh Choudhary 

June 12, 2023

यू.पी.एस.सी की तैयारी के दौरान घर से दूर रहने के कारण अक्सर शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक समस्याएं या तनाव हो सकता है।

 सामाजिक और पारिवारिक दबाव के कारण कई बार इस प्रक्रिया में लगातार या अचानक से असफल होना युवाओं के लिए टैकल करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए अपने शारीरिक के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।

केवल यू.पी.एस.सी ही सफलता का पैमाना नहीं

युवाओं को समझना होगा कि यू.पी.एस.सी की परीक्षा और इसमें टॉप करने के अलावा भी सफलता के तरीके कई है। किसी भी देश में देश-समाज और व्यक्तिगत उन्नति के लिए कई तरीके हो सकते हैं।

यू.पी.एस.सी की तैयारी से पहले एस्पिरेंट्स को सारे ऑप्शंस, संसाधनों और परीक्षा के बारे में पूरी जानकारी और मानसिक मज़बूती का आंकलन करना चाहिए। 

परीक्षा और परिणाम में प्रक्रिया का आनंद कैसे लें

अगर मानसिक शान्ति और आत्मविश्वास के लिए आपका आर्थिक आत्मनिर्भरता ज़रूरी है, तो उसके ऑप्शंस पर विचार करें।

आर्थिक स्थिति और आत्मनिर्भरता भी देखें 

अपनी मानसिक स्थिति को समझें 

हर अटेंप्ट के कुछ वक़्त पहले भी यह असेसमेंट होना चाहिए ताकि परीक्षा हॉल में आपकी मनःस्थिति एकदम मज़बूत हो चाहे एग्जाम और परिणाम की अनिश्चितताएं कैसी भी हो।

कोचिंग संस्थानों में भी हो जरूरी बदलाव

कोचिंग संस्थानों में यू.पी.एस.सी की तैयारी कर रहे एस्पिरेंट्स के लिए कॉउंसलर्स का प्रावधान होना चाहिए। कई कोचिंग संस्थानों में शिक्षक और छात्रों का खराब अनुपात भी तनाव का एक कारण है। 

शिक्षकों का हो सकारात्मक रवैया

शिक्षकों का रवैया क्लासरूम्स में प्रोत्साहन और सकारात्मकता भरा हो। मेन्टल हेल्थ, इमोशनल वेल्बींग के मुद्दों पर खुली बातचीत करने को बढ़ावा देने के लिए सेशंस और प्लेटफॉर्म्स दिए जाए।

यू.पी.एस.सी में जाने से पहले करें खुद का असेसमेंट

यू.पी.एस.सी की तैयारी में और समय – समय पर अपनी प्रोफेशनल स्किल सेट का असेसमेंट करना चाहिए। उस दिशा में खुद को अपस्किल करें और एक एग्जिट प्लान भी रखें तो बेहतर होगा। सफल और असफल दोनों ही स्थिति में आप सीखेंगे। पर इस आंकलन के साथ भविष्य के लिए दोनों ही स्थितियों में आशा बनी रहेगी।

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युवाओं को अपनी योग्यताओं, गुणों और विशेषताओं की पहचान ज़रूर करनी चाहिए। समाज को भी समझना होगा कि यू.पी.एस.सी जिसमें सफलता का प्रतिशत बेहद कम है; जिसके स्वभाव में ही अनिश्चितता है, उसके आधार पर किसी के वजूद को परिभाषित करना बेमानी है।

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