ठहर, ठहर कह रहा ये पल ,
थम-जा यही कह रहा ये कल,
तुझे किसकी तलाश है,
ना सुकून की छाँव है,
न शांति और प्यार के कुछ क्षण,
है तो बस कोहराम ।
ठहर जा, ठहर जा कह रहा ये समा,
रूक-जा अब तु बस यहीं,
खोज तु अपनों के संग चैन के कुछ पल,
ना पैसा , ना गाड़ी, ना बंगला, ना अभिमान,
मोह-माया से परे तु अपनी एक दुनिया बना,
न किसी से जीतने की होड़ न बेज़ुबान से नफरत,
सबको साथ लाकर साकार कर तु
” वसुधैव कुटुंबकम् ”
प्रेम और ज्ञान के जला दीए तु,
लालच और ईर्ष्या का दामन छोड़
अपना ले तु सत्य और स्नेह का छोर।
ठहर जा, ठहर जा कह रहा ये पल
थम जा यहीं कह रहा ये कल ।।