जितने ज्यादा हमारा देश मेडिकल विज्ञान की ऊंचाइयों को छूने में आगे बढ़ रहा है. वह अब अंगों की तस्करी करना बहुत ही आम बात हो गई है हाल ही में यथार्थ अस्पताल में बांग्लादेशी मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट किया जा रहा है बता दें 2019 में ट्रांसप्लांट पर रोक लग दी है वही जिन लोगों का ट्रांसप्लांट कराया गया था उन्हें पहले भारत बुलाया जाता और अपोलो अस्पताल में पैथोलॉजी में टेस्ट कराया जाते है और इसकी तस्करी सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है बल्कि इसके रैकेट बड़े -बड़े शहरों में अंडे के तरह पनप रहे है और इसका कोई अंत नहीं है ।
2016 में दिल्ली के अपोलो अस्पताल में किडनी का रैकेट पकड़ा गया था जिसमें लोग गिरफ्तार किया गया था और कुछ समय बात जमानत मिलने के बाद व फिर से वही काम करने लगे और इस तरह के रैकेट यूपी बहुत ज्यादा सतर्क है वह ऐसे कदम गलत तरीके से पैसे कमान में अवैध किडनी प्रत्यारोपण किया जाता और सभी लोग मिलते और फर्जी मरीजों का बिल बनाया जाता जिससे लोगों को किसी तरह का संदेह न हो और कई बार किडनी रैकेट दूसरे अस्पतालों की भी मदद लेते है इस गैरकानूनी काम को अंजाम देने के लिए और इसके तार बांग्लादेश से भी जुड़ हैं ।
ये लोग किडनी से पीड़ित लोगों को अपना शिकार बनाते है और 20 -25 लाख किडनी दिखाता है मरीजों को और डोनर की विदेश से ही व्यवस्था हो जाती है और लोगों को बहला फुसलाकर भारत बुलाया जाता और धोखे से उनकी किडनी निकाल दी जाती है, वही एक और हैरान करने वाली बात तो ये है की इस रैकेट की पूरी कमाडं बांग्लादेश से मिलती है और ये पिछले 15 वर्षों से ये काम कर रहें और लोगों को नौकरी के नाम पर भारत बुलाकर उसकी पूरी सेटिंग की जाती और किसी को कानों कान खबर नहीं होती है बता दे 2021 से लेकर 2023 तक 15 किडनी ट्रांसप्लांट करवाए जा चूकें हैं और यथार्थ अस्पताल तो इस रैकेट का मैन हब बना हुआ था वहां पर सारे ऑपरेशन को अंजाम दिया जाता था और उसका खेल जयपुर से भी जुड़ा हैं क्या लोगो की जिंदगी इतनी सस्ती बन गई है की इतनी आसानी से किडनी ट्रांसप्लांट का काला खेल रुचा जाता और इस पर कोई सुध नहीं ली जाती है और आसानी से जमानत भी दे दी जाती हैं