समाजवादी पार्टी ने स्वामी प्रसाद मौर्य का उपयोग करके किनारे लगा दिया ??
दरअसल बहुजन की राजनीति करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने ही PDA की पृष्ठभूमि तैयार की और समय-समय पर बहुजनों (PDA) की धार्मिक और जातीय स्थिति पर सवाल उठाया।
स्वामी प्रसाद ने रामचरित मानस में उल्लिखित विभिन्न चौपाइयों पर सवाल उठाया, उसके लिए स्वामी को बहुत ही विरोध का सामना करना पड़ा। लेकिन इस बात को दलितों ने संजोया और विचार भी किया।
लेकिन स्वामी के उस वक्तव्य को समाजवादी पार्टी ने उनका व्यक्तिगत वाक्य बताकर उनके बयान को समय-समय पर हल्का कर दे रही थी।
एक समय ऐसा आया कि स्वामी ने अपनी पार्टी पर उपेक्षा का आरोप लगाया लेकिन अखिलेश यादव ने उसे हल्के में लिया और फिर स्वामी ने समाजवादी पार्टी छोड़ स्वयं की पार्टी बनाई लोकसभा कुशीनगर से चुनाव लड़ा और बुरी तरह परास्त हुए।
निष्कर्ष यह निकलता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य को समाजवादी पार्टी ने अपनी भूमिका बनाने के लिए उपयोग तो किया लेकिन समय आने पर दूध में पड़ी मक्की की भाँति निकालकर फ़ेक दिया.