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” मेरी कामना “

” मेरी कामना “

डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”

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उन्मुक्त गगन में

बिचारना

भय रहित

स्वक्षंद चलना ,

त्मबल हो

हृदय में

मोह की छाया

न पपे ,

सत्य के हथियार से

साकार करलें

ज सपने !

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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”

दुमका

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