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मां जीवन की खेवैया (कविता)

मां शब्द है वह पहला,

जो होती जीवन की खेवैया,

दुख में पहला यही नाम याद आता,

सुख की एक किरण भी दिखलाता,

बचपन के ये पहले शब्द,

बुढ़ापे तक रहते हर-पल,

स्नेह भरा वह हाथ मां का,

होती हर दुख की दवा प्यारी,

ताकत है इस नाम में ऐसे,

ऊर्जा प्रदान करे हरदम जैसे,

सुख-दुख के भवसागर को,

मां पार कराती सरल-सुलभ,

मां शब्द है वह पहला,

जो होती जीवन की खेवैया

यह कविता बिहार के मुजफ्फरपुर से रिमझिम कुमारी ने चरखा फीचर के लिए लिखा है

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