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” क्लेर्किअल भंगिमा : “कॉपी टू आल “

” क्लेर्किअल भंगिमा : “कॉपी टू आल “

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल “

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अनेक विधाओं से सुसज्जित हम होते जा रहे हैं ! नये यंत्रों के आविर्भाव से हम द्रुत गति से अग्रसर हो रहे हैं ! प्रतियोगिता की लहर चारों तरफ फैल चुकी है ! असंख्य मित्रों से हम जुड़ते चले जा रहे हैं ! इन मित्रों के दायरे अपनी सीमाओं को लांघ सात समंदर पार पहुँच गये हैं !

अब भाषाएँ दीवार नहीं बनतीं हैं ! हम अपनी प्रतिभाओं को दसो दिशाओं में अपने वाणों का संधान लगाते हैं ! कला ,साहित्य ,लेख ,कविताओं ,गायन और विभिन्य भंगिमाओं की बरसात कर देते हैं ! इन प्रक्रियाओं का संपादन हरेक दिशाओं से होने लगता है !

कोई निहारते हैं …..कोई पढ़ते हैं ..कोई मनन करते हैं …… और कोईजरअंदाज भी करने की जहमत उठाते हैं ! कई मित्र तो संवेदनशीलता के चादरों में लिपटे रहते हैं जिनकी टिप्पणियाँ ,समालोचना ,सुझाब इस यंत्र के विभिन्य विधाओं से हमें प्राप्त होतें हैं !

हमारी लिखी हुईं कृतियाँ ,लेख ,कवितायेँ ,लघु कथा ,कहानी ,व्यंग इत्यादि की प्रतिक्रियाओं का आभास हमें फेसबुक के पन्नों पर होने लगता है ! प्रायः -प्रायः विवादरहित विषयों की समालोचनाएँ और टिप्पणियाँ पढ़कर आनंद का एहसास होने लगता है !

पर हम तो एक हारे थके से दिखने लगते हैं ! दो शब्द “आभार “और “स्नेह “भी हमारे गांडीव से निकल नहीं पाते हैं ! हम निष्क्रियता के दहलीजों को लांघ कर अकर्मण्यता का प्रदर्शन कर देते हैं और हजारों प्रतिक्रियाओं के जबाब में हम लिखते हैं……..

” सभी मित्रों को धन्यवाद् “!……..

इन प्रतिक्रियाओं को हम “क्लेर्किअल भंगिमा”…… कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी !

………..”COPY TO ALL”…….. ( सबों के लिए ) !

एक शब्द लिख कर क्या उनके दिलों में बस सकेंगे ?…… बैसे ही हमें “DIGITAL FRIENDS “( डिजिटल मित्रों ) की संज्ञा दी गयी है ! इन प्रतिक्रियाओं से हम अपने को “बौना “ना बनायें ! सबों को उनकी प्रतिक्रियों का समुचित अलग – अलग आभार अभिनंदन दीजिये ! हम धनुर्धर थे .हम धनुर्धर हैं …..और हम सदैव धनुर्धर बने रहेंगे ! यह धारणा बनी रहनी चाहिए ! लोगों का प्यार और हृदयानुराग आपको सदा मिलता रहेगा !

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डॉ लक्ष्मझा परिमल

साउंड हैल्थ क्लीनिक

एस 0 पी 0 कॉलेज रोड

दुमका

झारखण्ड

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