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क्यों नहीं मिलते लड़कियों को अधिकार? (कविता)

क्यों नहीं मिलते लड़कियों को पूरे अधिकार?

क्यों नहीं करता उन्हें कोई स्वीकार?

कहीं जाना हो या आगे बढ़ना हो,

हर वक्त उन्हें क्यों रोका जाता है?

सही काम करने पर भी टोका जाता है,

समाज की तो छोड़ो, अपने न देते साथ,

यकीन नही करता कोई चाहे कितनी सही हो बात,

दिन की तो छोड़ो मेहनत करती रात,

फिर भी चुप रहती न दे पाती जवाब,

लड़की है तो क्या हुआ, उन्हें भी मिले अधिकार,

क्यों नही करते हो तुम लड़की को स्वीकार?

यह कविता कपकोट, उत्तराखंड से दिशा सखी सुनीता जोशी ने चरखा फीचर के लिए लिखा है

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