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क्या आम जनता और वीवीआइपी एक समान नहीं है ?

जब प्रधानमंत्री या फिर किसी विशेष व्यक्ति का काफिला चलता था तो सड़कों और फुटपाथों को खाली कर दिया जाता है । एक दिन के शहरों को स्वच्छ कर दिया जाता है उसका नक्शा ही बदल दिया जाता है फिर चाहे वह सार्वजनिक स्थान हो या फिर प्राइवेट स्थान। हर नागरिक का एक मौलिक अधिकार होता है साफ और सुरक्षित स्थान पर चलना और इसकी पूरी जिम्मेदारी नगर निगम और राज्य प्राधिकरण की होती है ।

शहरों को हर दिन साफ और सुरक्षित रखना चाहिए न सिर्फ एक दिन के लिए बल्कि रोजाना सफाई होनी चाहिए , वही फेरीवालों की भी समस्या सामने दिख रही है क्योंकि वह अपने ठेलों को फुटपाथ के पास लगा लेते है जिससे लोगों को आने – जाने में दिक्कत होती और गंदगी होती वो अलग हैं , इस पर राज्य सरकार को सख्त कार्यवाही करने की जरूरत हैं क्योंकि फेरीवालों का कोई ठिकान तो होता नहीं हैं आज इधर है तो कल कहीं और होंगे

राज्य सरकार और नगर निगम को साथ में काम करने की जरूरत है क्योंकि जब शहर स्वच्छ होगा तब ही पर्यटक आकर्षित होंगे और उद्योग भी बढ़ेगा जो देश को विकास की ओर लेकर जाएंगा लेकिन यहां उनकी लापरवाही दिखती है क्योंकि इतना वक्त वह सिर्फ सलाह मशवरा करने में लगा देते है और आगे की नीति को हर्कत में नहीं लाते है और सालों लग जाता है । 

 दिक्कतों को ठीक करने में वही अधिकारी कुछ करना ही नहीं चाहते हैं बस कुर्सी गर्म करते रहते बहार निकलकर असलित नहीं दिखती किसी को भी वही फेरीवालों पर समय – समय पर कार्यवाही की जाती लेकिन फायदा कुछ नहीं होता है क्योंकि वह जुर्माना भरकर कही और अपनी रेहड़ी लगा लेते है और उन्हें फर्क भी नहीं पढ़ता अगर किसी को पढ़ता है तो वो है आम नागिरीक जो फुटपाथ पर रोज चलते और गंदगी दिखती है जिससे उनका रोज सामना होता है । वही नगर निगम को सख्त कदम उठाने की जरूरत है जिससे राहगीरों को तकलीफ न हों ।

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