ए ! मन ले चल मुझे वहां,
हो बहती ठंडी हवा जहां,
न हो कोई हलचल हो,
शोर शराबे से दूर,
मन ले चल मुझे वहां,
न हो जहां कोई रोकटोक,
हो चाहत मेरी पूरी वहां,
प्रकृति भी झूमती हो जहां,
ए ! मन ले चल मुझे वहां,
न हो जहां झूठ फरेब,
बस सच्चाई की राह हो,
हो जहां खुशियों की दुनिया,
झूम रहे हों सब जहां,
ए ! मन ले चल मुझे वहां
यह कविता उत्तराखंड के उतरौड़ा से दिशा सखी शिवानी पाठक ने चरखा फीचर के लिए लिखा है