उसे मम्मी कहूँ या मां,
आई कहूं या अम्मा,
मां के लिए मुंह से निकला,
हर शब्द है लाड से भरा,
बचपन से लेकर अब तक,
देखा हैं मैंने जब जब,
भूख लगी और निकली आह,
जिस हाथ ने मुझे खिलाया,
वो है मेरी प्यारी मां ,
सबसे पहले जागती है वो,
हमारे बाद सोती है वो,
हमारी खुशी में हंसती है वो,
हमारे दुख में रोती है वो,
उसके कंगन और पायल की खनक,
लोरी सी लगती है मुझे,
जब वह हंसती है तो भोली लगती है,
मां, तू हमेशा हमारे दिल में बस्ती है
यह कविता उत्तराखंड के बागेश्वर जिला स्थित मैगड़ीस्टेट से दिशा सखी दीक्षा बोरा ने चरखा फीचर के लिए लिखा है