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“जो किसानों की मौत पर मौन हो जाएं, उन्हें कैसे कहें हम प्रधानमंत्री?”

देश की 70 फीसदी आबादी गाँवों में रहती है और कृषि पर ही निर्भर है। ऐसे में किसानों की खुशहाली की बात सभी करते हैं और उनके लिए योजनाएं भी बनाते हैं मगर उनकी मूलभूत समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है। आखिर क्यों ?

जब तक सरकार अमीरो से रिश्ता बनाए रहेगी तब तक किसानो की हालत दिन प्रतिदिन ख़राब होती रहेगी और आप खासतौर पर देखेंगे की बीजेपी शासित प्रदेश में किसानो के साथ सबसे ज्यादा भेदभाव होते हैं यानि रिश्तों बोझ ज्यादा है समझे?

पूंजीवाद का भयानक चेहरा और हमारा देश

पूँजीवाद का भयानक चेहरा जिसकी वजह से भारत देश के बहुसंख्यक SC, ST और OBC आर्थिक शोषण के शिकार हो रहे हैं। जैसा की हम जानते हैं की एक ब्रांडेड कंपनी की शर्ट को तैयार करने की लागत किसान के खेत में कॉटन (कपास ) के बीज के लगाने से लेकर उस शर्ट के निर्माण करने की लागत मात्र 300 रूपए होती है। लेकिन उस शर्ट की मार्केट के शॉपिंग मॉल में कीमत होती है 1300 रुपए। सीधा 1000 रूपये का मुनाफ़ा?

यह मात्र एक उदाहरण है इसी प्रकार हर एक वस्तु की कीमत जो इंडस्ट्रियल कारोबार से होकर गुजरती है उसकी कीमत लागत से कई गुना ज़्यादा होकर हम लोगों तक पहुंचती है। इन चीजों के विज्ञापनों में बहुत सी सेलिब्रेटियों को अथाह धन इंडस्ट्रियल कॉर्पोरेट घरानों द्वारा दिया जाता है और इन सब खर्चों का बोझ गरीबों की जेबों पर पड़ता है। वहीं दूसरा पक्ष हम किसानों का है यदी मौसम अनूकूल रहता है तो हमारे एक क्विंटल खाद्यान्न में हमे सारे खर्चे काटकर दोसो रूपये प्रति क्विंटल का ही लाभ मिलता है।

उदाहरण के लिए एक क्विंटल गेहूँ को पैदा करने में किसान को लगभग 1100 रुपए का खर्च आता है और वोही गेहूँ बाजार में मुश्किल से 1300 / से 1500 रुपए गुणवत्ता के अनुसार दाम किसानों को मिलता है। यानी किसान को ज्यादा लागत के बावजूद बहुत ही कम मुनाफ़ा होता है और यदि मौसम विपरीत हो तो किसानों को घाटा भी लगता है। यह बहुत ही कटु सत्य है इस देश के अर्थव्यवस्था के जानकार लोग पूंजीवादियों के चाटुकार और ग़ुलाम है इसी कारण किसानों की आर्थिक स्थिती दयनीय बनी हुई है।

किसानों की दुर्दशा

वर्तमान छोटे और मझोले किसान आर्थिक रूप से बहुत ही कमजोर है जो की एक साधारण बीमारी के उपचार करवाने में भी सक्षम नही है यह कड़वी सच्चाई है। एसी रूम में बैठकर बनाई गई किसान हितैषी योजनाएं केवल कल्पना हो सकती है।जमीनी हक़ीक़त बिल्कुल अलग है। ऐसे में हम किसानों को हर एक कदम सावधानी पूर्वक हमारे अपने हित में सही हो वह उठाना होगा।

याद रखियेगा पूंजीवादी ताकतों ने इस देश की सत्ता पर कब्ज़ा जमाये हुए है। किन्तु किसानों की स्थिति जैसी की तैसी है ।पूंजीवादी वर्ग हमेशा यही चाहेगा की एक बड़ा वर्ग सदैव याचक ही बना रहे और एक बड़ा वोट बैंक बरकरार रहे समय समय पर किसानों को जिन्दा रखने की कोशिश भी एक भ्रम जाल ही है। हम मेहनत करते हुए सारी उम्र गुज़ार देते हैं फिर भी हमारे पास गिनने के लिए रुपया नहीं है और पूंजीवादियों के पास इतना रुपया है की उन्हें रुपया गिनने के लिए मशीनों का इस्तेमाल करना पड़ता है?

देश पर तानाशाही हावी हो रही है

हम हमारे बच्चों के भविष्य बनाने के लिए सारी उमर मेहनत करते है तब भी धन संचय नहीं कर पाते और इस देश के चन्द लुटेरों के पास इतना रुपया है की उन्हें उन रुपयों को छुपाने की जगह भी नही मिलती है? सरकार अम्बानी सहित अन्य उद्योगपतियो के हज़ारो करोड़ रुपये लोन माफ़ कर देती है। जबकि किसानो को समय पर लोन नहीं मिलता और फिर मिल भी जाए तो माफ़ तो होता नहीं चाहे किसान आत्महत्या करे या बर्बाद हो जाये किसी को परवाह नही क्योंकि नेताओं का मानना ही है कि किसान और सैनिक होते हैं मरने के लिए, क्या मज़ाक है, देश और शासक पूंजीवाद के रंग में रंग चुका है।

देश को ज़रुरत नहीं गुलाम बनाने के लिए। देश तो ऐसे ही पूंजीवाद की बेड़ी में जकड़ चुका है। देश पर तानाशाही हावी हो रहा है जिस का विरोध करने पर किसी न किसी आरोप में प्रताड़ित किया जाता है और हत्या कर दी जाती है। सरकार और सरकारी की पॉलिसी के कारण नागरिको का जीवन स्तर में कोई बदलाव नही आ रहा है और निम्न होता जा रहा है।पूँजीपति और अवैध कारोबारी फलफूल रहे हैं आमजन बदहाल हो रहे हैं।

हर चीज पर प्रशासन की बन्दिश है। आप को क्या खाना है। क्या सेविंग करना है, किस में सेविंग करना है, बच्चे कितने पैदा करने है। PF पर टैक्स देना है, आप सेविंग करो, टैक्स भरो फिर जमा राशि पर फ्री टैक्स भरो, मन की बात मत करो ये द्रोह है लेकिन प्रधानमंत्री की मन की आवाज़ जरूर सुनो।

1. सरकार ने कहा था कि विदेशों से काला धन वापस लाएंगे और काला धन रखने वालों को सजा देंगे। लेकिन इसके बदले मोदी जी के वित्त मंत्री अरुण जेटली जी बजट में काला धन को सफेद करने के लिए फेयर एंड लवली योजना लेकर आए हैं। सरकार अब टैक्स लेकर काला धन को सफेद करेगी।

2. मैंने जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार का 20 मिनट का भाषण सुना, इसमें कुछ गलत नहीं था। अगर किसी ने कुछ गलत किया तो उसे सजा जरूर मिलनी चाहिए।

3. मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट में बब्बर शेर को तैयार किया गया है. जहां देखिए शेर बैठे हैं। टीवी में देखो शेर बैठे हैं। मैं पूछता हूं आपने कितने लोगों को रोजगार दिया।

4. रोहित वेमुला ने सरकार के दबाव में सुसाइड किया। इस मामले पर पीएम मोदी ने किसी मंत्री पर कार्रवाई क्यों नहीं की क्या संघ लोगों की आवाज दबाने के एजेंडे पर काम कर रहा है।

5. मुंबई में आतंकी हमलों के बाद हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को घेरा और आंतकवाद को लेकर उसकी नीतियों पर दुनिया भर को साथ खड़ा किया। लेकिन पठानकोट में हमले के बाद सरकार ने ऐसा क्या कदम उठाया जिससे ठोस कार्रवाई होती हुई दिखे। इसके उलट पीएम मोदी नवाज शरीफ के साथ मेहमान नवाजी करते रहे। बिना सोच-विचार के प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान का दौरा किया क्या यही भारत की कूटनीति है?

6.अचानक 500 और हजार के नोट बंद करने से मुल्क में इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो गया 200/300 लोगो की मौत हो गयी। कितनी लड़कियों की शादी टूट गई। ऐसी हज़ारो परिशानियां हम गरीब सहें, पर इससे हमारे देश को फायदा क्या हुआ? इस पर आप मन की बात बोल देते, कोई आमिर लाइन में नज़र नहीं आया।

7.हमारा देश भुखमरी में 100 स्थान पर चला गया और हम GST पर लगे रहें।

8.ऐसे हज़ारो सवाल हैं पर बीजेपी के नेता के पास दूसरा ही जवाब है अगर कोई सरकार के बारे में बोल दे तो तुरंत वह देशद्रोही हो जाता है। इसकी गलती भी हमी लोगो में है , क्योंकि कीचड़ में ही कमल खिलता है और उस कमल के नीचे कीचड़ /गन्दगी जमा रहती है।

9. देश के लोगों की आवाज सुनें मोदी जी। लोगों की आवाज दबाने की लगातार कोशिशें की गईं। प्रधानमंत्री जी आप सब जानते हैं सुनते कुछ नहीं। प्रधानमंत्रीजी अब भी लोगों की आवाज़ और संदेश सुन सकते हैं।

चेहरा बता रहा था कि मारा है भूख ने,

सब लोग कह रहे थे कि कुछ खाकर मर गया।

सुला दिया माँ ने भूखे बच्चे को यह कहकर,

परियां आएंगी सपनों में रोटियां लेकर।

Written by Nazneen Akhtar

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