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पिछड़ी सोच से दुनिया लगाएगी मुझ पर पाबंदी (कविता)

ये दुनिया मुझे आगे नहीं बढ़ने देगी,

फिर भी मैं इनसे लड़ कर आगे बढ़ूंगी,

ये मुझे हर समय अपनी बातों में बहलायेंगे,

फिर भी मैं हर बात को अनसुना कर आगे बढ़ूंगी,

ये मेरे रास्ते में कांटे बिछाएंगे,

मैं हर कांटे को पार कर मंजिल तक जाऊंगी,

ये मुझे गलत नज़रों से देखेंगे,

मैं हर एक नजर से नजर मिलाकर आगे बढ़ूंगी,

ये मुझ पर लगाएगे पाबंदियां,

मैं हर एक पाबंदी को तोड़ कर आगे बढ़ूंगी,

ये मुझे हर लम्हा परेशान करेंगे,

मगर मैं हर समय अपनी आवाज बुलंद रखूंगी।।

यह कविता उत्तराखंड के बागेश्वर स्थित गरुड़ ब्लॉक के लमचूला से दिशा सखी कविता ने चरखा फीचर के लिए लिखा है

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