महफ़िल सजी थी मेला लगा था
पुस्तकों का एक संसार सज़ा था
पढने को उत्सुक लोगों की पंक्ति में
बच्चों से लेकर बूढ़ा तक खड़ा था
बच्चों की किलकारियाँ से सुसज्जित
हुई दोस्ती कि एक नयी शुरूआत
कुछ ने पकड़ी नयी जिम्मेदारी
कुछ ने पकड़ी नई किताब
कोई था कला का शौकीन वहां तो
कोई कर रहा पर्यावरण की बात
कोई विज्ञान को बच्चों तक लाया
किसी ने चार्ली चैप्लिन का भेष बनाया
कोई कर रहा सबके खाने की तैयारी
तो किसी ने दूसरे के घर का खाना खाया
दो दिन की इस मसरूफ महफ़िल में
थे कुछ बाशिंदे यहीं के तो कुछ मेहमान थे
आए थे कराने दोस्ती क़िताबों से बच्चों की
तो लाए थे बेचने को कुछ सामान थे
तीन दिनों का था ये पूरा अवसर
कुल मिलाकर पूर्ण हुआ था मेले का मक़सद
साबित हुई ये बात की मेले भी होते हैं प्यारे
हुडदंग से जोड़ा जाता था जिनको अक्सर ।