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मैं नादान नहीं हूं (कविता)

अंगार सी अग्नि जलती है मुझ में,

आग सी भड़क उठी है अब तो,

एक नारी हूं मैं, कोई कमज़ोर नहीं,

कुछ भी करने का साहस है मुझ में,

चाहे हो संघर्ष से लड़ना,

या हो मुश्किलों से टकराना,

हर बात को सहना आता है मुझे,

मैं नादान नहीं नारी हूं मैं,

मत खेलो मेरी भावना से,

चिंगारी भी बन सकती हूं,

अगर बन गई चिंगारी तो,

भेदभाव करने वालों को जला भी सकती हूं।।

यह कविता उत्तराखंड के उतरौड़ा से दिशा सखी शिवानी पाठक ने चरखा फीचर के लिए लिखा है

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