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“फेसबूक दोस्त”

“फेसबूक दोस्त”

डॉ लक्ष्मण झा परिमल

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जुडौगे क्या

भला उनसे ,

जिन्हें वर्षों से

भूले हो !

भी भी

कुछ नहीं लिखते,

सदा लगते झमेले हो !!

ले संयोग

से मिल लें

नहीं तो

मिल नहीं सकते

रही ब

बात ही बाँकी

उसे भी कर

नहीं सकते!!

लिखेंगे कुछ

तुम्हें हम तो

दा तु

मौन रहते हो

रा सा

पूछ लें तुमसे

तो तुम अंगूठे

दिखाते हो!!

मिलन होगा

नहीं सबसे

जरा संवाद

ही कर लो

मित्रता में

बंधे हो तुम

कभी बातें

जरा कर लो!!

हो क्यों

दोस्त मानेंगे ?

हीं है

फिक्र ही तुमको !

तुम्हें क्यूँ

साथ हम रखें ?

भला क्या काम

है हमको !!

रखें हम

दोस्ती ऐसी

सुदामा – कृष्ण

जाएँ

ना कोई भेद

हो हम में

मिलन के

गीत हम गाएँ !!

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डॉ लक्ष्मण झा परिमल

एस 0 पी 0 कॉलेज रोड

दुका

झारखंड

भारत

15.03.2024

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