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आप लौट के क्यूं नहीं आये पापा? (कविता)

पापा आप लौट के क्यूं नहीं आये?

पापा ! आपने तो कभी झूठ नहीं बोला था,

तो आज क्यूं बोला पापा?

कह तो रहे थे दो दिन में आऊँगा,

तो आए क्यूं नहीं पापा?

आपने तो कभी झूठ नही बोला था,

तो आज क्यूं बोला पापा?

कहकर तो गये थे खिलौने लाऊँगा तेरे लिए,

मगर आप तो खुद लेट कर आए हो,

पापा ! आपने तो कभी झूठ नहीं बोला था,

तो आज क्यूं बोला पापा?

पापा ! ये कैसी आवाज़ें आ रही हैं?

मां मेरी रो रही है, चारो तरफ मातम छाया है,

सफ़ेद कपड़ों में सोया एक आदमी नजर आया है,

ये क्या ! ये तो आप हो पापा,

कहा तो था लौट आऊँगा,

तो आप आए क्यूं नहीं पापा?

आपने तो कभी झूठ नहीं बोला था,

तो आज क्यूं बोला पापा?

यह कविता उत्तराखंड के बागेश्वर स्थित गरुड़ से दिशा सखी हेमा आर्या ने चरखा फीचर के लिए लिखा है

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