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अभी कहीं

खेलो बच्चों जी भर के तुम 

मैदान अभी बचा है कहीं 

तोड़ लो ज़ंजीर हाथों की 

खुली आसमान अभी बचा है कहीं 

लगाओ दौड़ नंगे पैर, डालो झूले पेड़ों पर 

बगीचे कुछ कटे नहीं हैं कहीं 

देख लो हरियाली और जंगल की मस्ती 

होने को दूर खड़ी है ये दुनियां कहीं 

फ़िर तो इमारतों का ही ज़ोर होगा 

गली गली में वाहनों का शोर होगा 

कर लो पेट पूजा पसन्दीदा भोग से तुम 

खोने की आदत हो गयी है संस्कृति को कहीं 

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