हम क्रिकेट खेलने आये हैं, खेल खेलकर जायेंगे,
हर जीत से बेपरवाह हम अपना खेल दिखाकर जायेंगे,
खेल भावना से जो खेलेगा वो जीवन में,
श्रेष्ठता, सुशीलता और सज्जनता का प्रतिक बनेगा,
दो दलों का है ये खेल, हरेक दल में खिलाड़ी होते ग्यारह,
एक दल करती है बैटिंग , एक दल करती है बॉलिंग,
बॉलर को रन लगाने से, उसका दिल दुखता है,
और विकेट मिलने से उसका मन गदगद होता है,
चोका, छक्का लगाने से बल्लेबाज इठलाता है,
और आउट होने पर मन मसोस कर जाता है,
ये खेल अजब निराला है, प्यारा है, दिल धड़कता है
होनी को अनहोनी कर देता, अनहोनी को होनी,
पर जो भी हो खेल देखने वालों को
खूब रोमांच कराता है।
सभी खिलाड़ियों में सहजता होना चाहिए तभी श्रेष्ठता को प्राप्त कर सकते हैं।
रूपेश रंजन ठाकुर