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हिंदी कविता: सिर्फ तुम थे

हमें बिगाड़ने वाले भी तुम थे, सँवारने  वाले भी तुम थे !

मेरे चेहरे की मुस्कान के पीछे बस तुम थे,

मेरे नाम में तुम्हारा  नाम छुपा था , उसे ढूंढने वाले भी तुम थे 

मेरे पूछने पर की “कौन हूँ मैं आपकी ?” तो हँस कर मेरा आईना हो तुम ये  कहने  वाले भी तुम थे 

मेरे अक्स की तस्वीर बनाकर उसे अपना बनाने वाले भी तुम थे 

जिंदगी की हर मोड पर साथ खरा हूँ ये कहने वाले भी तुम थे 

मेरी हर एक कविता को पढ़ने के बाद पागल हो तुम कहने वाले भी तुम थे 

फोन पर बात करने के बाद , मुझसे पहले फोन न काटने वाले भी तुम ही थे 

मेरे चेहरे को बार बार पढ़ने वाले सिर्फ तुम थे 

भीड़ में  सबके सामने एक हल्की सी मुस्कान देने वाले तुम थे,

दफ्तर में सबके सामने मेरा नाम पुकारने वाले भी तुम थे 

मुझे हमेशा हौसला दिलाने वाले भी तुम थे !

आज सब कुछ हैं पर तुम नही हों !!

बस तुम थे ॥ अब नहीं हो …कहीं नहीं  हों , कहीं नहीं हों 

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