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क्या विशेष रुप से असमर्थ बच्चें वंचित रह जाते है समाज से ?

बच्चो को गोद लेने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 को देखते हुए मौलिक अधिकार का दर्जा देने से मना कर दिया गया है । गोद लेने का फैसला पूरी तरह से बच्चो के कल्याण के आधार पर किया जाता है , क्योंकि जो बच्चे अनाथ होते है या बेघर होते है जिन यह नहीं पता परिवार होता क्या है । उन्हें एक बेहतर जीवन देने के लिए गोद लिया जाए जिससे उनका जीवन सुधारा जा सके , जो सुविधाओं से वंचित रह जाते है और शिक्षा से भी, जैसे बाकी बच्चों के तरह वह भी स्कूल जा सके और पढ़ – लिख सके । 

अदालत ने दो या दो से अधिक बच्चों वाले माता – पिता को विचार करने के लिए कहा गया है वह विशेष रूप से असमर्थ बच्चों को गोद लिया जा सकता है । माता – पिता जो बच्चे के सुख से वंचित रह जाते है या फिर विशेष जरूरतों या फिर मुश्किलों से पैदा होने वाले बच्चों को गोद लेने की अनुमति देनी चाहिए । सामान्य बच्चों को गोद लेने की तुलना में विशेष बच्चों के ऊपर भी ध्यान दिया जा सके सकता है और कई बार गोद लेने की प्रक्रिया बहुत लंबी चलती है और विशेष आवश्यकता वाले बच्चे छूट जाते है और वह सुविधा नहीं मिल पाती है ।      

इस नियम के तहत ये भी कहा गया है कि तीन या तीन से अधिक बच्चा गोद लेने के बजाए दो या दो से अधिक बच्चों की दंपती केवल विशेष जरूरतों वाले बच्चो को गोद लिया जा सकता है जिससे उन्हें भरपूर सुविधाएं दी जा सके और शिक्षा दे सके जो बच्चे अनाथ की वजह से वंचित रह जाते है दत्तक ग्रहण नियम 2022 के अंतर्गत अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करते हुए याचिका दायर की गई । कोर्ट ने याचिका को सुनते हुए ये कहा गया कीविशेष रुप के बच्चों को गोद लेने का जोर नहीं इसके बजाय उन्हें गोद लेने का विचार कर सकते है , माता – पिता क्योंकि व समाज से वंचित रहे जाते औरवह सुख – सुविधा नहीं मिल पाती है जिससे ये एक सुझाव के तौर पर कहा गया है कि जो माता – पिता बच्चों को गोद लेने में इच्छुक है तो विशेष बच्चों कोगोद लेने का भी विचार सोचा जा सकता हैं । 

 

जिससे वह भी पढ़ – लिखकर समाज में अपना नाम बना सके और अपनी एक पहचान बनाई जाए और अपने देश का नाम रोशन  किया जा सके औरों के समृद्ध बच्चों  के तरह व भी आगे बढ़ अपने सपनों को पूरा करके ज़िंदगी में  आगे बढ़ सके । भारत सरकार की कई योजना जिससे  इन बच्चों को माता – पिता के सुख की प्राप्ति मिल  सकती है जैसे की सीआरसी सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स और पीएम मोदी ने इसका जिक्र अपनी मन की बात प्रोग्राम में भी किया गया है ।

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