Site icon Youth Ki Awaaz

बुरे दिनों में हमारे अपने दूरियां क्यूँ बना लेते हैं?

बुरे दिन कभी भी किसी के भी आ सकते हैं, हम सभी ने जिंदगी में कभी ना कभी बुरे दिनों का सामना ज़रूर किया होगा।

मगर, ये सब कुछ जानते हुए भी की बुरे दिन कुछ दिनों के लिए आते हैं हमारे अपने सभी करीबी लोग भाई बहन यार दोस्त रिश्तेदार मदद करने की जगह दुरिया क्यों बना लेते हैं या एक बार छोटी सी मदद देकर किनारा कर लेते हैं। जबकि वो चाहे तो मुसीबत को जड़ से खत्म कर सकते हैं। पर अधिकतर ऐसा होता नहीं।

जी हां मैं पैसों की मदद को ही बात कर रहा हूं।

मैंने अपने जीवनकाल में ऐसे कितने घर देखे जिन पर छोटी सी मुसीबत आई, और वो इस तरह से उसमे फंसते चले गए, की कभी भी निकल नही पाए उनका घर बिक गया, परिवार में किसी की मौत हो गई, और बर्बादी से निकलने के बीच जिंदगी जीने और मुसीबत से बाहर निकलने में उनकी आधी जिंदगी बीत गई। पर वो बाहर नहीं निकल पाए, जबकि उनको एक छोटी सी मदद ही आने वाली बड़ी मुसीबत से ठीक उसी समय बाहर निकाल लेती, अगर उनको समय पर मदद मिल जाती।

इंसान ऐसा क्यों होता हैं या ऐसा क्यों करता हैं, जब कोई हमारा अपना कोई हमसे मदद मांगता हैं तो हम उसको ना कहकर रात को आराम से सो जाते हैं, इस बात की चिंता किए बिना मदद मांगने वाला किस हालत में हैं या कल उससे हम बात भी कर पाएंगे या नहीं ?

और जब वही मुसीबत हम खुद पर आती है तो हम एक नही दस जगह कॉल करते हैं, मदद मांगते हैं जब तक हमको पक्की गारंटी नहीं मिल जाती, हम चैन से नहीं सोते।

तो फिर ऐसा हम दूसरो के साथ क्यों नही करते। उनको सिर्फ ना कहकर या आश्वाशन देकर आराम से सो जाया करते हैं।

बात तो छोटी सी हैं मगर बड़ी गंभीर हैं।

इंसान ऐसा क्यों होता हैं।

मगर मैने ऐसे भी लोग देखे हैं जो मुसीबत में रहकर भी दूसरों की मदद को हमेशा तैयार रहते हैं। वो कुछ भी करके कही ना कही से अपने हर संभव प्रयास से इंतजाम कर ही लेते हैं, या मदद मांगने वाले को पूरी तरह से विश्वास दिलाते हैं की आप परेशान मत होना हम जल्दी ही इस बड़ी मुसीबत से बाहर निकल जायेंगे।

और विश्वास करना ऐसा अगर कोई करता है तो निश्चित रूप से सामने वाले को बड़ी हिम्मत मिलती हैं।

ऐसे समाज में फिर रहने का क्या फायदा जब हम एक दूसरे के काम भी नहीं आ सकते।

मैंने दवाई के इंतजार में बीमारियों को बढ़ते देखा हैं, या तड़प तड़प कर ठीक होते हुए भी।

पैसों की मदद ही सबसे बड़ी मदद होती हैं।

क्यूंकि वो मिलने के बाद ही बाकी कामों की शुरुआत होती हैं। फिर वो चाहे शादी हो, घर का किराया हो, स्कूल फीस हो, घर की दवाई हो, किसी का ऑपरेशन हो, घर का राशन हो, या फिर नौकरी जी हां इंसान नौकरी भी तभी कर पाएगा जब उसे कुछ पैसे मिलेंगे बाहर निकलने के लिए।

एक मजबूर और एक गरीब को भी आगे बढ़ने के लिए किसी सहारे की ज़रूरत पड़ती है, तभी कही जाकर वो अपनी जिन्दगी में आगे कुछ पर पता हैं

खुद पर मुसीबत आने पर 10 , 20 , 50 या 100 लोगों को कॉल करने वाले मेरे साथियो , अपने किसी पर मुसीबत आने पर भी बस ऐसा ही करना।

जय भारत

Exit mobile version