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आओ सुनाऊं बेटी की कहानी (कविता)

बचपन में अंधेरे से डर लगता था,

पर अब इस दुनिया से डर लगता है,

कि ये हमें आगे बढ़ने से रोक देंगी,

जब जब बेटी ने धरती पर जन्म लिया,

तब तब उन्हें टोका गया,

बदल जाएगी सारी दुनिया,

जब बेटी के प्रति सोच बदलेगी,

कल भी बेटी को दुख देते थे दुनिया वाले,

आज भी बेटी को दुख देते हैं।।

यह कविता उत्तराखंड से 10वीं की छात्रा अनीता ने चरखा फीचर के लिए लिखा है

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