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हिंदी कविता: जिस नाम पे क़त्ल होगा वही बदनाम होगा

जिस नाम पे क़त्ल होगा
उसी से नफ़रत होगी
वही बदनाम होगा
अल्लाह का नाम हो तो अल्लाह होगा
राम का नाम हो तो राम होगा
पर जिस भी नाम पे क़त्ल होगा
उसी से यकीनन नफ़रत होगी
वही बदनाम होगा

 

खून से लतपत् अकेला रहा रात भर
ना जाने वो किस धर्म का था
भीड़ अपना भगवान पुकारती रही
सुना है एक भीड़ उसे मारती रही

 

सुबह उदास हुई उस रोज़
उसने दम तोड़ दिया
दूर किसी गली में भीड़ ने
एक रंग का कपड़ा ओढ़ लिया

 

सुना है कलयुग है
ये नज़ारा आम होगा
इंसानियत का अब
धर्म के हाथों ये अंजाम होगा

क़त्ल करने वालों की ज़ुबान पे
कोई भगवान होगा
सच बोलना
अपमान होगा

 

नफ़रत फैलाने वालों से नफ़रत होगी
जिसके नाम पे क़त्ल होगा
वही तो बदनाम होगा
अल्लाह का नाम हो तो अल्लाह होगा
राम का नाम हो तो राम होगा। 

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