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“मैं तो लिखता जाऊँगा”

“मैं तो लिखता जाऊँगा”

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल “

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कोई पढे या ना पढे

मैं तो लिखता जाऊँगा

कोई सुने या ना सुने

मैं तो कहता जाऊँगा

कभी व्यथाओं के छोर से

मेरी कविता निकलती है

कभी क्रंदन के नोर से ही

मेरी यह स्याही बनती है

कोई पढे या ना पढे

मैं तो लिखता जाऊँगा

कोई सुने या ना सुने

मैं तो कहता जाऊँगा

कभी अपनी भंगिमाओं को

पर्दों पर ही मैं उकेरता हूँ

सुर पहचानना मुश्किल है

फिर भी मैं तो गाता हूँ

कोई देखे या ना देखे

मैं तो करता जाऊँगा

कोई सुने या ना सुने

मैं तो गाता जाऊँगा

बेरोजगारी मंहगायी की बातें

सब दिन मैं ही दुहराता हूँ

फिरभी इन रोगों का इलाज

नहीं मैं कभी कर पाता हूँ

समझे कोई ना समझे

मैं तो कहता जाऊँगा

कोई सुने या ना सुने

मैं तो गाता जाऊँगा

कोई पढे या ना पढे

मैं तो लिखता जाऊँगा

कोई सुने या ना सुने

मैं तो कहता जाऊँगा !!

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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल

साउंड हेल्थ क्लिनि

डॉक्टर’स लेन

दुमका

झारखण्ड

27.01.2024

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