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पुकार (कविता)

सुन लो मेरी पुकार

फूलों की तरह खिलना चाहती हूँ

खुशबू की तरह महकना चाहती हूँ

पर क्यों रोक देती है मुझे दुनिया?

दिल तितली सा उड़ना चाहता है

और चाँद सा चमकना चाहता है

जिसमें हो खुशियों का खजाना

पर पहले ही क्यों काट देते हो पंख?

अंधेरे में दीया बनना चाहती हूँ

दीपकों की तरह चमकना चाहती हूँ

उजाले की तरह दिखना चाहती हूँ

पर पहले ही क्यूँ बुझा देते हो मुझे?

यह कविता उत्तराखंड के मिकिला गांव से 13 वर्षीय करिश्मा ने चरखा फीचर के लिए लिखा है

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