मैं एक ऐसी दुनिया देखकर आया हूं,
जहा कोई उच्च नीच नहीं,
जहां कोई भेदभाव नहीं।
जहां हर तरह के लोग एक साथ रहते हैं,
चाहे वह गोरा हो या सावला,
चाहे वह अंग्रेजी बोलते हो या हिंदी,
चाहे वह औरत हो या पुरुष।
मैं ऐसी दुनिया देखकर आया हूं,
जहां कोई भी अपनी बात रख सकता है,
जहां किसी के खिलाफ बोलने पर दंड न मिलता हो ।
मैं किताबों की दुनिया देखकर आया हूं।