रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती मानुस चून।।
एक अरसे पहले ही महान कवि रहीम उपरोक्त दोहे के माध्यम से हमें सतर्क कर गए थे कि पानी को सहेज कर रखिए, क्योंकि बिना पानी के यह संसार सुना है, पानी के जाने से मोती अपनी चमक खो देता है, चुना सुख कर बेकार हो जाता है, ठीक वैसे ही, जैसे सम्मान के खो जाने से मनुष्य के जीवन का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। शायद उन्हें सैकड़ों वर्षों पहले ही इस बात का अंदाजा था कि इंसान पानी के मोल को कभी नहीं समझेगा, और जब समझेगा, तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।
पानी के बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पृथ्वी की तीन-चौथाई सतह पानी से ढकी जरूर है, लेकिन इसमें साफ पानी का प्रतिशत बहुत कम है, जो मानव के लिए उपयोगी है। तो, समस्या साफ पानी की कमी से है और यदि साफ पानी की मात्रा कम हो जाती है, तो यह भविष्य में बड़े मुद्दे पैदा कर सकता है।
हमारी आपकी आदतें भी जिम्मेदार है
वॉटरएड की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कुल आबादी का छह प्रतिशत हिस्सा (75,777,997 व्यक्ति) स्वच्छ जल से वंचित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भूमिगत जल कुल पेयजल का 85 फीसदी आपूर्ति करता है, लेकिन देश के 56 फीसदी हिस्से में भूमिगत जल के स्तर में गिरावट आई है। मानव अपने आनन्द के लिए हर सुविधा जुटा सकता है, लेकिन जो प्रकृति अपनी ओर से देती है, वह अनमोल है। इसमें पानी भी प्रकृति की ओर से दिया गया एक ऐसा उपहार है, जो हर जीव-जंतुओं के लिए जीवनदायी अमृत के समान है। जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। दूसरा पहलू यह भी है कि इंसान ने पानी का इतना दुरुपयोग किया है, इतना दोहन किया है कि आज पूरी दुनिया जल संकट से जूझ रही है।
इंसान को जो आसानी से मिलता है, वह उसकी बर्बादी करने में ज़रा भी देर नहीं करता। हम यदि अपने दैनिक जीवन में देखें और खुद से पूछें कि सुबह से शाम तक आज हमने कितना शुद्ध पानी व्यर्थ गँवाया, तो पाएँगे कि नित्यकर्म से लेकर रात को सोने तक, नहाने, आँगन धोने, गाड़ियाँ साफ करने, कपड़े धोने आदि कार्यों में हम जरूरत से कुछ ज्यादा ही पानी का उपयोग कर लेते हैं। इन्हें यदि हम थोड़ी बुद्धि लगाकर उपयोग करना शुरू कर दें, तो हम काफी शुद्ध पानी की बचत कर सकते हैं। लेकिन अभी हमें पानी का संकट अपने सामने खड़ी मौत के रूप में नहीं दिख रहा।
उनसे पूछिए जिन्हें आसानी से नहीं मिलता पानी
भारत के बड़े राज्य में शुमार राजस्थान के कई गाँवों में लम्बी दूरी तय करने के बाद पीने योग्य पानी मिल पाता है। वहाँ एक घड़ा भी पानी नसीब हो जाए, तो काफी होता है। महिलाओं को आज भी सिर पर पानी ढोकर लाते हुए देखा जा सकता है। पानी की असली कीमत इन गाँवों से समझी जा सकती है। हालाँकि, सरकार ने यहाँ वर्ष 2024 तक हर घर पानी का कनेक्शन लगवाने का वादा किया है, लेकिन यह तो तब संभव है जब आपके पास पर्याप्त पानी हो। जब पानी ही नहीं होगा, तो नल में पानी कहाँ से आएगा? ऐसे में, हर इंसान का कर्तव्य बन जाता है कि पानी की बचत करे, ताकि हर इंसान को शुद्ध पानी नसीब हो सके।
वहीं, बीबीसी की न्यूज़ के अनुसार दक्षिण अफ्रीका का केपटाउन शहर जल्द ही आधुनिक दुनिया का पहला ऐसा बड़ा शहर बनने जा रहा है, जहाँ पीने के पानी की भारी कमी होने वाली है। आने वाले कुछ समय में यहाँ रहने वाले लोगों को पीने का पानी नहीं मिलेगा। यहाँ तक कि अधिकारियों ने लोगों से कहा है कि वे टॉयलेट में फ्लश करने के लिए टंकी का इस्तेमाल न करें और कम से कम पानी बहाएँ। यह स्थिति कितनी भयावह है जरा सोचिए।
विश्व के दूसरे देशों में जल संरक्षण को लेकर काफी काम हुआ है। अब भारत के लोगों को भी इसके लिए जागरुक होना होगा। अन्यथा यहाँ कब अकाल की परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाएँ, कहा नहीं जा सकता। इसके लिए पहले खुद संकल्पित हों, ताकि दूसरों को भी इसका महत्व समझा पाएँ।