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“अगर बराबरी ही देना था, तो 50% महिला आरक्षण क्यों नहीं?”

Women reservation 50 % demand

Women reservation 50 % demand

बहुत बड़ी बात हुई। इतिहास में रची जाएगी। शायद कोई भूलेगा नहीं और भूलना भी नहीं चाहिए। महिला आरक्षण वो भी सांसद, जहां 181 सीट सिर्फ महिलाओं के लिए पर क्या कोई महिला प्रधानमंत्री बनी है इंदिरा गांधीजी के बाद और क्या कोई मुख्यमंत्री बनेगी? 28 राज्यों में बनेगी कोई महिला प्रतिनिधि? सबने खुशी जाहिर की। हमने भी की। टीवी पर देखा बहुत सारी महिलाएं आयी हुई थी संसद के बाहर जैसे कुछ टीवी कलाकार और इनको एक ऐतिहासिक जीत भी बोली गयी। मुझे भी अच्छा लगा चलो कुछ तो हुआ अपने पक्ष में जहां हमारे द्वारा चुनी गयी महिलाएं हमारे लिए बोलेंगी सांसद में।

क्या आरक्षण से होगा बदलाव

पर सवाल उठता है कि क्या ये आरक्षण काफ़ी था? हम महिलाओं के लिएइ क्या इससे कुछ बदलाव आएगा? मेरे समझ से नहीं कुछ नहीं होगा। आज भी जहां पंचायती राज में महिलाओं को आरक्षण मिलने के बाद भी ग्रामीण इलाके में महिलाओं को बोलने का अधिकार नहीं दिया जाता। बस एक स्टम्प पेपर की तरह काम करती हैं और उनके पीछे उनके घर के कोई पुरुष रहते हैं जो असल में काम करते हैं। पर सही मायने में ये आरक्षण कितना लाभदायक होगा, ये तो सांसद होने के बाद ही पता चलेगा। पर जो महिलाएँ हम महिलाओं के वोट से जीती हैं, क्या वाकई में वो हमारे लिए आवाज़ उठाती हैं? क्या हम महिलाओं के लिए कोई काम करती हैं? 

पुरुषों के बराबरी करने में है वक्त

इस पुरुष प्रधान समाज में मेरा अपना मत है कि महिलाओं को उनकी बराबरी का असल हिस्सेदार बनाने में अभी भी बहुत वक्त लगेगा। अब ये भी बोला जाएगा कि कुछ नहीं तो कुछ ही सही। पर क्या ये इतने से हम उनकी बराबरी कर पाएंगे? सिर्फ एक राज्य में महिला मुख्यमंत्री हैं और उनका भी वर्चस्व मिटाने में लगे हैं सब। अगर महिलाओं को आगे बढ़ाना ही है, तो उनको आगे क्यों नहीं करते? राष्ट्रपति बनाने से उनको पूरा काम करने का अधिकार नहीं मिलता। कहीं न कहीं हम सबको कठपुतली के तरह इस्तेमाल किया जा सके इसकी योजना बनाई जा रही है। 

बराबरी देना है तो 50% आरक्षण क्यों नहीं

आरक्षण जब सबका मत था, तो 50% का आरक्षण क्यों नहीं? सिर्फ 33% ही क्यों? क्या हमारे नाम पर फिर से वोट जीतने की तैयारी की जा रही है? हम महिलाए हर क्षेत्र मे मदद करते हैं चाहे वो काम से या हमारे नाम पर वोट से। पर सही माएने में आरक्षण तभी मिलेगा जब हब सबको बराबर का सीट मिलेगा संसद में और उस दिन का इंतज़ार हम लगाए बैठे हैं।

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