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अधिकार और सियासत के नाम पर होते युद्ध और जाती मासूम जानें

War in Israel

War in Israel

“अब वो नहीं बोलेगा कुछ शायद अब ये दुनिया भी उसने जंग के साथ देखा , उसकी  गलती नहीं थी पर उसको भुगतना पड़ा।” वे  कहते हैं ना कि युद्ध जब होता है, तब हार या जीत नहीं होती। बस सबसे ज्यादा मरता है मानव। मानव वो जिनको युद्ध से कोई वास्ता नहीं, मानव वो जो सुबह उठता है और अपने परिवार के साथ रोज सुबह भगवान से शांति और अमन से जिंदगी गुजरे इसकी प्राथना करता है। आज ऐसे ही एक युद्ध की चर्चा हम करेंगे जहां आतंकवादियों के अपने मसले के लिए सिर्फ और सिर्फ मासूमों के जान गँवाते देखा जा रहा हैं टीवी पर। सबके बीच सिर्फ इन्सानों की जान जा रही हैं। कौन हैं वे लोग पता नहीं। बस आयें दिन मारे जा रहा हैं। बदले की आग बढ़ती जा रही हैं। ये और बढ़ेगी। कहाँ तक जाएगी ये पता नहीं। पर बच्चों के अनाथ होने की तस्वीर भी सामने आ रही है। लगता है जैसे आखिर ये मासूम क्या करेंगे बिन माँ-बाप के? किनके पास जाएंगे? इस जंग मे वो किनके होंगे? कौन  थामेगा उनका हाथ और कौन उनको संभालेगा । 

क्या बताता है संयुक्त राष्ट्र का आंकड़ा

  1. यूक्रेन और रूस :  इस जंग को एक साल से अधिक हो गया पर कोई समाधान नहीं मिला। संयुक्त राष्ट्र के  रिपोर्ट के अनुसार 750 बच्चो की मौत हुई हैं, लगभग 1,500 यूक्रेनी बच्चे अनाथ हो गए हैं। 9000 नागरिकों की मौत हुई हैं। लगभग  5 लाख से अधिक बच्चे शिक्षा से वंचित हो गए हैं या मानिए पाठशाला जाना बंद कर चुके हैं। 
  2. इस्राइल और हमास : 7 अक्तूबर 2023 ये हाल ही की बात हैं जंग की शुरुआत हो गयी और लगभग 12 दिनों के बाद मौत का आंकड़ा बहुत बढ़ गया परंतु उसमे सिर्फ बच्चों के मौत की रिपोर्ट की बात की जाए तो 724 हैं और 2215 नागरिकों  की जान गयी हैं। 
  3. यमेन युद्ध : इसके बारे में तो शायद कोई ही नहीं जिनको पता ना  होगा। 7 साल तक चले इस युद्ध में जाने कितने बच्चो ने जान गंवाई और कितनों को कुपोषित होने के वजह से अब लाचारी की जिंदगी जी रहे इसका अनुमान लगाना मुश्किल हैं। 
  4. सीरिया युद्ध : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के अनुसार, पिछले दस वर्षों में, सीरिया में युद्ध के सीधे संबंध में हर दिन औसतन 84 नागरिक मारे गए हैं । देश में सशस्त्र संघर्ष शुरू होने के बाद से 2022 तक अनुमानित 306,887 नागरिक मारे गए थे।

ये सब एक कागजी आंकड़ा हैं। जाने कितने लोगों का घर बर्बाद होता है, जिनको बनाने में जाने कितने मेहनत, कितने गाली खाते हैं। एक परिवार जो बहुत मुश्किल से अपना घर बसाता है, वैसे घर बर्बाद हुए हैं। कितने लोग रास्ते पर आ गए और कितने बुजुर्ग जिनका कोई नहीं बचता उनका क्या होता होगा? बस सुनाने के लिए अपनी कहानी बच जाती है। हम बस अपने घर में बैठे दुख ही जता सकते हैं और बेबस होकर बैठ जाते हैं।एक दर्दनात्मक तस्वीर जारी किया गया था। सीरिया युद्ध के समय। देखकर मन बहुत विचलित हुआ था पर उस समय टीवी पर इतना कुछ समाचार नहीं बताई जा रही थी। वो तस्वीर आप भी देख सकते हैं। 

क्या संवेदना ही काफी है

सबने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी, टीवी चैनल पर लोगों ने अपनी संवेदना जताई थी। पर क्या परिणाम मिला ?? ये देखकर रोना आया होगा। सबकी आंखे नम हुई थी ये विश्वास हैं मुझे पर क्या लगता हैं ये एक तस्वीर सामने आई थी बहोत से ऐसे बच्चो ने अपनी जान गवाईं थी पर किसी ने कुछ नहीं किया। आज भी ये जंग जारी हैं आज भी लोग बस मेरा ज़मीन तेरा ज़मीन ,  तेरे लोग – मेरे लोग, तेरा धर्म – मेरा धर्म करते हैं। हम बच्चो को इस जंग से कोई वास्ता नहीं। बस चैन से अपने माता पिता के साथ रहना हैं । ऐसा ये बच्चा कहं गया हम सबसे । पर किसी को कुछ मतलब नहीं। संयुक्त राष्ट्र भी परिणाम होने के बाद सिर्फ और सिर्फ आंकड़ा जारी करता हैं और इससे ज़्यादा कुछ नहीं। 

आए दिन मीडिया पर वीडियो आ रहा हैं लोग अपने बच्चो के शव को लेते हुए भागते नज़र आ रहे हैं। अक्सर सबकी उम्र बस 1 से 3 साल। मारे गए, कुछ घायल हुए बस भाग रहे हैं लोग । देख कर ऐसा लग रहा है मानो जाकर उनको अपने पास रख ले। पर हम सब बेबस हैं । सबको ये बच्चे माफ़ करे कि उनके लिए कोई कुछ नहीं कर पा रहा है । 

जंग होने के कारण

इन युद्धों के पीछे कई कारण होते हैं। कुछ सरकार के कारण हैं तो कुछ आतंकवादी कारण हैं, पर जंग होते हैं। कहीं न कहीं हर एक दिन कभी न कभी  सिर्फ अपने अधिकार के नाम पर जंग किया जाता हैं और इस युद्ध में सिर्फ मासूम लोग अपनी जान गँवाते हैं। अब इस्राइल और गाज़ा के हॉस्पिटल में हुए हमले के कारण जिन बीमार 500 लोगों ने जान गंवाई उससे  किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा । आज बस एक दूसरे पर इल्ज़ाम लगा कर बैठे हैं। पर उन 500 लोगों के बारे में कोई बात नहीं किया। बस हॉस्पिटल पर रॉकेट फ़ाइर हुआ। इसकी चर्चा दिन भर टीवी पर हुआ। कुछ बच्चों की तस्वीर इंटरनेट के माध्यम से आया था। एक बच्चा अपने से कुछ ही उम्र बड़े भाई के मौत पर उसको चूम-चूम कर आंखे खोलने के लिए विनती कर रहा हैं। दो बच्चे आनाथ हो गए थे, सिसक – सिसक कर रो रहे थे। लगभग 3 और 2 साल के बच्चे थे। एक-दूसरे को देखकर बहुत रो रहे थे। क्या एक-दूसरे की भाषा समझते वो। ये सब देखकर मन पूरी तरह से टूट गया। हम कैसे लोग हैं जो कुछ नहीं कर सकते। 

क्यों जा रही है लोगों की जान

ये जंग क्यों हो रहा है। किसको फायदा होगा। ये पता नहीं। पर हाँ मानव का खात्मा जरूर हो रहा है। लोगों को जानबूझ कर मारना और उनको सड़कों पर यूं छोड़ देना, इससे किसी को क्या मिलेगा कोई नहीं जानता। पर हम सब कठोर बनते जा रहे हैं। ये पता चल रहा है। आज की दुनिया के लोग बस एक पत्थर  से बनते जा रहे हैं और ये  पत्थर जैसे लोग मासूम बच्चो को मारते  दिख रहे हैं। और मरने वाले बस गरीब और बेबस ही होते हैं। बस ये जंग अब ख़त्म होनी चाहिए । जिनको जो चाहिए दे दो पर ख़त्म करो। बस।

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