अगर तुम ना होते तो किसका इंतज़ार करते हम?
यूं रातों को छुपकर किस से बात करते हम?
और किसके यादों में दीवाने होते? और सुबह दीदार को तरसते हम
अगर तुम ना होते तो किसका इंतज़ार करते हम?
न कोई पगला कहता और न कोई मस्ताना
ना कोई मजनू ना कोई अफसाना।
माना कि तुम आज साथ नहीं हो , पर तुम्हारे यादों मे रो ले इतनी सी बात तो है
सुख तो बहुत थे पर मेरे दुख का कारण तो हो तुम,
अगर तुम ना होते तो किसका इंतज़ार करते हम ?
तुम्हारे गम में थोड़े आँसू भी छलक जाते, तुम क्या करती होगी इसकी भी बात कर लेते हम
हाँ, मेरे गम में रोने वाला कोई तो है, बस इसी सुकून में जी लेते,
अगर तुम न होते तो किसका इंतज़ार करते हम ?
तुम भी अपने कानों के झुमके को अब पहनती ना होगी ,
ना आँखों में वो काजल लगाती होगी जो मुझे पसंद था,
वो नीला रंग जो हम दोनों को पसंद था, शायद अब ना पहनती होगी तुम
मुझे भी पता है तुम रातों में सिसकियाँ लेती होगी,
आंसुओं से पूरा तकिया भिंगोती होगी,
और सुबह उठते ही आंखो में कुछ काट लिया होगा ये बहाने बनाती होगी
हाँ मुझे भी पता है जितना मैं रूठा हूँ उतना तुम भी हो
पर अगर तुम ना होती तो किसका इंतज़ार करते हम?
अब अच्छा नहीं लगता कुछ मुझे, मेरा झगड़ा हो जाता सबसे
जाने कौन सी बातों पर बिगड़ जाता मैं सबपर ,
ना था पहले ऐसा मैं ये भलीभांति जानती हो तुम
मेरे ऐसे व्यवहार से नाराज़ होती तुम
बस यही सोचकर दिन गुजरते हैं
अगर तुम न होती तो किसका इंतज़ार करते हम?