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हिन्दी कविता: मेरा सपना

stop discrimination against women

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मैंने जो सोचा है

सपने खुद के अपने

पूरा करने का एक

साहस भी अपना सा

नहीं रोक सकता

यह समाज भी अब

मिला है एक मौका

फिर क्यों न देखूं कोई सपना?

पूरा क्यों न करूं उसको

मान लिया है जिसको अपना

अब रुकना नहीं है

किसी भी डगर पर

मुश्किल चाहे आये

कितना भी सफर में

खुद से रास्ता बनानी है

हर मुश्किल से टकराना है

कहीं नहीं अब रुकना है

सपनों को पूरा करना है

यह कविता चौरसों, उत्तराखंड से तानिया ने चरखा फीचर के लिए लिखा है

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