बेटी का हर पल सुंदर,
फिर वह कैसे है बोझ?
क्यों करते हो उसके साथ भेदभाव?
क्यों समझते हो उसको अभिशाप?
बेटी को भी जीवन जीने दो,
पढ़ लिख कर आगे बढ़ने दो,
खुले आसमान में उड़ने दो,
उसको भी सांस लेने दो,
क्यों करते हो कोख में उसकी हत्या?
कैसे कर लेते हो ऐसा पाप?
क्यों करते हो दहेज़ का लालच?
कहाँ से देगा एक गरीब बाप?
बेटी से ही तो है दुनिया सारी,
सृष्टि कहो या कायनात,
जग की सुंदरता है बेटी,
वंश का है वह आधार,
क्यों समझते हो घर का नौकर उसको?
शिक्षा पाने का है उसको भी अधिकार,
फिर कैसे एक बेटी हो गई,
समाज के लिए एक अभिशाप?
यह कविता उत्तराखंड के बागेश्वर जिला के कपकोट ब्लॉक स्थित उतरौड़ा से शिवानी ने चरखा फीचर के लिए लिखा है. 13 वर्षीय शिवानी स्कूली छात्रा है और दिशा सखी के रूप में किशोरियों को जागरूक करती हैं.