Site icon Youth Ki Awaaz

“गरीब बच्चे को एक रोटी नहीं दे सकते तो कैसी इंसानियत?”

poverty and society

poverty and society

एक दिन की बात है ,मैं एक गली से गुज़र रहा था। तभी एक दरवाजे पर एक छोटे बच्चे को देखा। वो गुमसुम सा बड़ी उम्मीद से घर के अंदर झांकने की कोशिश कर रहा था बिल्कुल उदास उदास। मेरे कदम उसे देख कर अनायास ही रुक गए। क्या देखता हूं एक आदमी अपने गोद में एक कुत्ते को पिल्ले को प्यार से सहलाता हुआ आया। और बच्चे को डांट कर भगाने लगा। मैं पास गया। बच्चा रोने लगा मैने पूछा भाईसाहब क्या बात है? जिन्हें मैंने भाई साहब कहा वे अपने कुत्ते को बिस्किट खिलाते हुए बोला पता नहीं यार कहां-कहां से चले आते हैं, ये लोग भीख मांगने।

मैंने कहा भाईसाहब ऐसा मत बोलिए। आप इस बिलायती कुत्ते को बिस्किट खिला सकते है। मगर इस गरीब बच्चे को एक रोटी नहीं दे सकते? तो उन्होंने मुझसे कहा शायद तुम्हे पता नहीं आज के जमाने में इंसान से ज्यादा वफादार कुत्ते होते हैं। बोलकर अंदर जाने लगा। मैने कहा सर एक मिनट मैने पॉकेट से एक दस का नोट निकाला बच्चे को दिया। वो आदमी देख कर मुस्कुराने लगा। मैने कहा भगवान ना करे ऐसा हो लेकिन ये भी सच है जब आप मरोगे तब आप को शमशान तक कांधे पर उठाकर ये बच्चा ही ले जाएगा। आपका ये विलायती कुत्ता नहीं। इतने में बच्चा मुझसे बोल पड़ा भैया ये भले ही आज मेरे  जरूरत पर अपने हिस्से से मेरी भूख मिटाने के लिए मुझे एक रोटी नहीं दिया। लेकिन मैं इसे अंकल बोलता हूं अगर ऐसा हुआ तो मैं इन बातों को अपने दिल में कभी नहीं रखूंगा।

मैं जरूर इनके मदद को तैयार रहुंगा प्रणाम भैया । प्रणाम अंकल कहकर जाने लगा। वो आदमी खड़े-खड़े कुत्ते के बच्चे को छोड़ दिया। कुत्ता का बच्चा गिरते ही भाग गया। वो आदमी मेरा मुंह देखा और दौड़ कर उस बच्चे को बाहों में भर लिया और बोला मुझे क्षमा कर दो बेटे। आज से ये कुत्ता नही तुम मेरे बेटे हो। ये देख कर मेरे आंख से खुशी के आंसू छलकने लगा और मुंह से अनायास ही निकला राधे-राधे।  

Exit mobile version