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हम सब हिंदुस्तानी हैं (कविता)

ना पूछो ज़माने से कि

क्या हमारी कहानी है

हमारी पहचान बस इतनी है

कि हम सब हिंदुस्तानी हैं

देश से करते प्यार इतना

कि जान भी गंवाई है

मत पूछो हम कौन हैं?

हम सब हिंदुस्तानी हैं

नेहरू, गांधी और शास्त्री

सबकी एक ज़ुबानी थी

मत पूछो वो कौन थे

वो सब हिंदुस्तानी हैं

वो मां होती है खुशनसीब

जिनके बच्चों का बलिदान,

आता है देश की मिट्टी के नाम,

मत पूछो वो कौन थे

वो सब हिंदुस्तानी हैं

यह कविता कन्यालीकोट, उत्तराखंड से 19 वर्षीय महिमा जोशी ने चरखा फीचर के लिए लिखा है

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