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पहाडै चेली (कुमाउनी कविता)

पहाडै चेली

देखिछ तुमूल

नि देखी

पुछिया उनन थैं जनूल देखी

पहाड़ा ठुल धार

भ्योल कभाड़ में देखिनी उ

बादल जा उडानी

ख्वारन में घा गढ़व धरी

हुलरन देखी यसी

खसकन हिमखण्ड जसि

सीमा रक्षा लीजि

वीर बालानै फ़ौज तैयार छू

दुडनक चूर बैठौ

अनाज पैदा करनी

पाथरन बै पाणि पैद करनी

भगवती मैयाल दान दी राखी इनन कै

काठा जा खुट लुआ कपाव

हाथ में दातुल सब हथियार न्है ठुल

उनन थै पुछिया जैल दै देखो उनर

खचण्ड़ी अवतार

उत्तराखंड की दो प्रमुख भाषाओं में एक कुमाउनी में यह कविता बागेश्वर जिला के गरुड़ ब्लॉक स्थित सलानी से रेनू ने चरखा फीचर के लिए लिखा है. 18 वर्षीय रेनू राजकीय इंटर कॉलेज, सलानी में 12 वीं की छात्रा है. इस कविता के माध्यम से उसने उत्तराखंड की किशोरियों के विचारों का सुंदरता से वर्णन किया है

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