मीडिया ने बताया कि G20 की अध्यक्षता से भारत को बहुत कुछ मिला है। सभी देशों ने भारत को विश्वगुरु मान लिया है। आदि आप सब जानते ही है फिर सरकार G20 पर डाले गए RTI पर कोई साफ-साफ जवाब देने को तैयार क्यों नहीं है ? RTI के प्रावधानों को ऐसा क्यों बना दिया गया है कि जवाब देना ही ना पड़े। सरकार को RTI से क्या डर है?
कुछ सवाल जो पूछे गए थे
1. G20 में कुल कितना खर्चा हुआ ?
2. G20 के विज्ञापन में कितना खर्चा हुआ ?
3. G20 से कुल क्या फायदा हुआ ?
4. G20 से भारत को क्या फायदा हुआ ?
क्या मिला उत्तर
सितंबर 2023 को दिल्ली में जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन सहित 200 से अधिक बैठकें होंगी। 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 के दौरान भारत जी-20 प्रेसीडेंसी के तहत आयोजित किया जा रहा है। ये बैठकें जी-20 सचिवालय द्वारा विभिन्न पक्षों के परामर्श से आयोजित की जा रही हैं।मंत्रालय और कई सहभागिता समूह। चूंकि सभी बैठकों का खर्च भी विभिन्न संबंधित मंत्रालयों, राज्यों द्वारा किया जाता है, जी-20 सचिवालय में सरकारों और विभिन्न कार्यक्षेत्रों को इससे बाहर निकलने की आवश्यकता होगी।
जी-20 सचिवालय/लाइन मंत्रालयों/राज्य में विभिन्न कार्यक्षेत्रों से विभिन्न रिकॉर्डों से जानकारी सरकारें और उपलब्ध सीमित जनशक्ति संसाधनों को असमान रूप से हटा देंगी। सार्वजनिक प्राधिकरण के सामान्य कामकाज को बाधित करता है और इस प्रकार उसे धारा 7(9) के तहत छूट दी जाती है। आरटीआई अधिनियम, 2005।
आरटीआई से जवाब न मिलने का व्यवस्था कर रही है सरकार
यूपीए सरकार ने RTI (सूचना का अधिकार) कानून लाया था, जो कहीं ना कहीं उसी UPA सरकार के पतन का कारण बना। मोदी सरकार ने संशोधनों के जरिए इस RTI कानून को और कमजोर कर दिया है। अब कुल मिलाकर के जवाब मिलेगा ही नहीं और RTI डालने वालों को तो परेशान किया ही जाएगा! G20 के इतने सफलता के बाद भी भारत का कनाडा से बिगाड़ क्यों? मोदी के देर तक हाथ मिलाने से, क्या फायदा हुआ ?