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“जवान एक प्रॉपर तमिल फिल्म के तरह है, जो आपको निराश नहीं करती”

Jawan poster

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जब मैं कुछ महीनों के लिए आंध्रप्रदेश के गुंटूर में था तब मुझे रवि तेजा की फ़िल्म विक्रमारकुडू देखने का मौका मिला था। इस फ़िल्म का किरदार विक्रम राठौर और इंटरवेल से पहले का फाइट सीन आज भी याद है। विक्रम राठौर का वह औजार बेहद नया था। बाद में यह फ़िल्म अक्षय कुमार ने राउडी राठौर नाम से की। उस फ़िल्म में भी इंटरवेल से पहले का वह एक्शन दृश्य बेहद लाजवाब था। अब करीबन 11 वर्षों बाद शाहरुख की जवान आती है जिसमें फिर से विक्रम राठौर नाम सुनने को मिला। विक्रम राठौर के औज़ार का नया वर्जन देखने को मिला।

तमिल फिल्म से मिलता-जुलता है जवान

जवान एक प्रॉपर तमिल फ़िल्म है। इस फ़िल्म को निर्देशक शंकर के असिस्टेंट रह चुके एटली ने लिखा और निर्देशित किया है। बिग बजट तमिल मसाला फिल्मों में जिस तरह के लेयर, डांस और सस्पेंस होते हैं ठीक वैसे ही इस फ़िल्म में भी है। रजनीकांत और थलपति विजय की फ़िल्में इसके सटीक उदाहरण हैं। एटली ने इससे पहले विजय के साथ तीन फ़िल्में बनाई हैं। मेरसल में विजय से उन्होंने ट्रिपल रोल और बिगिल में डबल रोल करवाया था। जवान में भी शाहरुख दोहरी भूमिका निभा रहे हैं।

शाहरुख की धमाकेदार एंट्री

इस मास फ़िल्म में जो सबसे ज्यादा पसंद आने वाला है, वो है शाहरुख की एंट्री। शाहरुख की हर एंट्री पर लोग हूटिंग कर रहे थे। वे सीट से उछल कर तालियां बजा रहे थे। एटली ने एक – एक एंट्री सीन में जितना एफर्ट लगाया है उतना एफर्ट तो बॉलीवुड के कई निर्देशक अपनी पूरी फ़िल्म में नहीं लगाते। एंट्री दृश्यों का हर फ्रेम, प्रर्श्वसंगीत, सिनेमैटोग्राफी और शाहरुख का लुक आपको गुसबंप्स देता है। पिछले कुछ सालों में जितनी भी मास फ़िल्में सुपरहिट हुई हैं उनमें एंट्री सीन का सबसे बड़ा योगदान रहा है। लोग केजीएफ में रॉकी भाई को सिर्फ चलते हुए देखकर बावले हो उठे थे।

मेरसल के जैसे दृश्य

इस फ़िल्म के कुछेक दृश्य आपको मेरसल (Mersal) के दृश्यों से मेल खाते दिखेंगे। जैसे कि शाहरुख और विजय का पहलवानों की तरह दांव खेलने से पहले मिट्टी उठाकर ताली बजाते हुए झाड़ाना। एक सीन में विक्रम राठौर और आज़ाद पहली बार एक-दूसरे से बात करते हैं। इस सीन में ऐसा लगता है कि शाहरुख तमिल एक्टर विजय की तरह अभिनय कर रहे हैं। हो सकता है एटली ने यह फ़िल्म विजय को ध्यान में रखकर ही लिखी हो। विक्रम राठौर का कानों में इयरफोन डालकर गाने सुनते हुए एक्शन करना मास्टर फ़िल्म में विजय के किरदार से प्रेरित लगता है।

एक्शन फिल्म के लिए तरसते शाहरुख

फ़िल्म के एक्शन सीन्स एक मास फ़िल्म के अनुसार आले दर्जे के हैं। शाहरुख़ बताते हैं कि वे कैरियर के शुरूआती दिनों से ही एक्शन फ़िल्में करना चाहते थे। डर की शूटिंग के दौरान उस फ़िल्म के असिस्टेंट डायरेक्टर आदित्य चोपडा के साथ वे विदेशी एक्शन फिल्मों पर खूब बातें किया करते थे। लेकिन जब आदित्य चोपड़ा उनके पास दिलवाले दुल्हनिया लें जायेंगे की कथा लेकर पहुँचे तब वे चौंक गए। वे कई दिनों तक इस फ़िल्म के ऑफर से बचते रहे लेकिन उसे करने के बाद वे रोमांस के बादशाह बन गए। वे सालों तक आदित्य चोपड़ा को मज़ाक में पूछते रहे कि मेरी एक्शन फ़िल्म कब बनाओगे। डॉन फ़िल्म में उन्हें एक्शन करने को मिला और डॉन 2 में उनका एंट्री सीन वाकई लाजवाब था। लम्बे बालों के साथ उनका लुक अंगार था। जब जीरो के बाद लगने लगा कि अब शाहरुख क्या करेंगे। उन्हें तो सिर्फ रोमांस करना ही आता है और वो फ़िल्में अब नहीं चलने वाली। ऐसे में आदित्य चोपड़ा की पठान उन्होंने साइन की। साल 2023 की सबसे बड़ी एक्शन फ़िल्म से शाहरुख़ ने खुद को एक्शन हीरो साबित कर दिया।

एटली के गुरु शंकर ने भी शाहरुख को एथिरन (रोबोट) ऑफर किया था लेकिन बात नही बनी। पहेली, फैन, डिअर ज़िन्दगी, जब हैरी मेट सेजल और जीरो जैसी फिल्मों से वे खुद को एक्सप्लोर करते रहे। जवान में नयनतारा शानदार लगीं हैं। प्रिया मनी, सान्या मल्होत्रा, सुनील ग्रोवर और रिद्धि डोगरा का काम ठीक ठाक है। दीपिका और संजय दत्त के सीन्स लोगों को पसंद आये तो वहीँ विजय सेतुपथि ने अपने किरदार से दिल जीत लिया।

जोरदार डायलॉग और मनोरंजन

एटली के निर्देशन की ख़ास बात है कि वे इमोशन के साथ बारीकी से खेलते हैं। अपने स्टोरीटेलिंग में फ़्लैशबैक और वर्तमान की कड़ी को इस तरह से दर्शाते हैं कि दर्शक भावुक होने से खुद को रोक नहीं पाते। जैसे ओंकार दास मानिकपुरी को एक किसान के रूप में प्रस्तुत किया गया है। बाप और बेटी का वह दृश्य आपकी आंखें नम कर देता है। एटली ये काम बिगिल और मेरसल में भी कर चुके हैं। शाहरुख की फ़िल्म से और तगड़े डायलॉग्स की उम्मीद की जाती है। सिंगल स्क्रीन दर्शकों के लिए यह ट्रीट है। थिएटर स्क्रीन के सामने बैठकर हर दृश्य को खुलकर एन्जॉय करने वालों को यह फ़िल्म बेहद पसंद आएगी। इसकी कहानी शंकर की कई फिल्मों की याद दिलाती है जिसमें नायक कुछ अनोखे कारनामे करके देशवासियो को न्याय दिलाता है। नायकों द्वारा ऐसे न्याय करना असल जीवन में नामुमकिन है। नायक, शिवाजी द बॉस, अपरिचित और विजय की सरकार इत्यादि ऐसी कहानियों के उदाहरण हैं।

कहीं कहीं लॉजिक से दूर होती फिल्म

एक्शन सीन्स में लॉजिक की उम्मीद नहीं की जाती है लेकिन फिल्म के कुछ सीन ज़र्क जाते हैं। जवान के सबसे अहम सीन में जब भारतीय जवान दुश्मनों से लड़ रहे होते हैं तब उनके गन्स काम करना बंद कर देते हैं। सभी बंदूकें एक साथ खराब हो जाती है। कहानी में आगे चलकर बन्दूक के निर्माता को इसका जवाब देने को कहा जाता है। सोचने वाली बात है कि क्या कोई भी देश हथियारों को बिना चेक करे खरीद लेगा? और उसके सैनिक उन हथियारों को अभ्यास के दौरान उपयोग करे बिना सीधे जंग में ले जायेंगे। आगे कहानी में विक्रम राठौड़ को देशद्रोही साबित करके उसकी पत्नी को मृत्युदंड दे दिया जाता है। न्याय की देवी की ऑंखें काली पट्टी से ज़रूर ढंकी होती है लेकिन वह अंधी नहीं है।

शाहरुख़ खान की अगली फ़िल्म डंकी पहले से हिट मानी जा रही है क्योंकि निर्देशक राजकुमार हिरानी हैं। और ये सच है कि शाहरुख आखिर सितारे हैं। उनके इस बयान पर फ़ुरसत से बात करेंगे। सपनों का दूसरा नाम शाहरुख है, वे रोमांस के पर्यायवाची हैं। नाइनटीस के बच्चों ने अक्सर यह सुना होगा और किसी को बोला होगा, ‘अपने आप को बड़ा शाहरुख समझता है क्या?’ और आज भी केवल दो शख्स के नाम इस वाक्य में उपयोग किये जाते हैं। वे शाहरुख़ और सलमान हैं।

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