जब भी देश में चुनाव होते हैं, तो चुनाव आयोग द्वारा वोट डालने के लिए, वोटर को वोटर पर्ची बीएलओ के माध्यम से घर-घर पहुंचाता है कि वोटर बूथ पर जाकर वोट डाल सके। इस वोटर पर्ची में वोटर का नाम, पता, वोट कहां डालने जायेगा अर्थात बूथ का नाम, बूथ संख्या, वोटर क्रमांक कि एक बूथ पर लगभग 1200 लोग वोटिंग करते हैं तो उसका नाम किस नम्बर पर लिखा हुआ है। हमारे पहचान पत्र में हमारा नाम व पता होता है। किस विधानसभा से है ये लिखा होता है। विधानसभा कई भागों में बंटी होती है तो भाग संख्या लिखी होती है।
वोटर आईडी में बदलाव की जरूर
इस वोटर आईडी में दो बातों को और जोड़ दिया जाए। पहला बूथ का नाम व क्रमांक। दूसरा- वोटर का क्रमांक जो उस वोटर लिस्ट में अंकित होता है। ये दो सूचनाएं जैसे ही पहचान पत्र पर आ जायेगी, वोटर को वोटर पर्ची की जरूरत नहीं रह जायेगी। चुनाव आयोग का वोटर पर्ची छपवाने का खर्च बचा जायेगा। बीएलओ – बूथ लेवल आफिसर का समय बचेगा जो घर-घर जाकर पर्ची बांटने में लगता है। इस सुविधा से वोट डालने का प्रतिशत भी बढ़ेगा। बहुत से वोटर वोट डालने से इसलिए वंचित हो जाते हैं कि उन्हें वोटर पर्ची नहीं मिलती समय से व उन्हें वोटर क्रमांक नहीं मिलता और वो वोट नहीं डाल पाते। ऐसा इसलिए भी होता है कि बूथ पर बैठे लोग जो वोटर क्रमांक ढूंढ कर देते हैं वो पूर्ण प्रशिक्षित नहीं होते। उन्हें पता ही नहीं होता कि जो वोटर बाद में रजिस्ट्रेशन कराया है, उसका नाम पीछे अतिरिक्त पेज पर जोड़ा जाता है। जब हम अपने पते में परिवर्तन कराते हैं तब भी ऐसे नाम वोटर लिस्ट के बाद के पन्नों पर होते हैं और ढूंढने वाला प्रारम्भिक पन्नों पर पते के सीरियल में हमारा नाम ढूंढता है।
कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है तकनीक
चुनाव आयोग अब तकनीकी का प्रयोग कर रहा है तो चुनाव के समय में जानकारी हमारे मोबाइल पर भी भेजे जाने की सम्भावना है। लेकिन यदि मोबाइल नम्बर अपडेट नहीं है और पुराना है तो सूचनाएं वोटर तक नहीं पहुंच पायेगीं। वेबसाईट से ये सूचनाएं देखी जा सकती हैं। इलेक्शन कमीशन आफ इंडिया की बेबसाइट पर वोटर अपना पहचान पत्र नम्बर डाल कर अपनी सूचनाएं देखी जा सकती है व वोटर क्रमांक व बूथ जान सकता है। लेकिन परेशानी उनको आयेगी जो इन्टरनेट का प्रयोग नहीं करते व जानकारी जिनके पास है ही नहीं।
वोटर पर्ची का एक और नियम है जो लोग जानते नहीं हैं कि कोई भी चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार उस पर अपनी पार्टी व अपना नाम नहीं लिखा सकता। ये चुनाव आयोग का ही नियम है ताकि लोग निष्पक्ष होकर, सभी उम्मीदवारों को जानकर सही व्यक्ति को ही वोट दे। वोटर पर्ची पर सिर्फ वोटर की जानकारी ही होनी चाहिए। चुनाव आयोग इस विषय में आम जनता से और प्रतिनिधियों से चर्चा कर, इस बात पर विचार कर सकता है कि पहचान पत्र पर ही बूथ व वोटर क्रमांक की जानकारी अंकित करना कितना उचित होगा।