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“खेती रोजगार विकल्प बने, उसके जरूरी है बुनियादी सुधार और अच्छी आय”

Farmers in India

Farmers in India

आज भारत में व्यक्ति हर पेशा अपना रहे हैं लेकिन किसान बनना एक आकर्षक पेशा नहीं है। आज किसान किसानी छोड़ रहे हैं। नई पीढ़ी किसानी नहीं अपनाना चाहती हैं । इसका एक मात्र कारण है खेती में निम्न आय का संकट। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में किसानों की आय दस हजार के करीब है। यह चिंता का विषय है। आज भी देश की 65% आबादी गांव में रहती है। जबकि गांव की आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ी है। सरकार ने देश में किसानों के लिए किसान सम्मान निधि शुरू की है, जो किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक सार्थक कदम है।

खेती की लागत बढ़ रही है

एक तो खेती की लागत बढ़ रही है। आयात से कच्चे माल की कीमतें भी बढ़ी हैं। पिछले कुछ सालों में उत्पादन लागत 100% तक बढ़ चुकी हैं। बुआई, जुताई, खाद इनके मूल्य में लगातार वृद्धि हुई है। ऐसे में किसान के लिए खेती करना आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो गया है। दूसरी तरफ़ उसे अपनी फसलों की वाजिब कीमत नहीं मिलती है। शांता कुमार समिति की रिपोर्ट के अनुसार किसानों को msp का तत्कालीन वर्ष में केवल 6% ही मिल पाया। नीति आयोग भी 2016 में मान चुका है कि 10% किसानों को ही सही कीमत के बारे में पता था। दूसरा फसल को रखने का गोदाम नहीं होना। किसान मजबूरी में वह अपनी फसल महाजनों, को पौने दाम पर बेच देते हैं।

कोरोना के बाद किसानों की स्थिति

जब किसानी घाटे का सौदा हो जाता है तो गांव से शहरों की ओर लोग पलायन करते हैं। फिर शहरों पर दबाव बढ़ता है। लेकिन कोरोना के बाद रिवर्स माइग्रेशन केवल को बल मिला। इससे कृषि पर निर्भरता बढ़ी है। आज खेती को एक स्वीकार्य पेशा बनाए रखने के लिए जरूरी है कि गावों में सहकारिता को बढ़ावा देना होगा। खेती के साथ ही मछली पालन और अन्य आजीविका को अपनाना होगा। कृषि आधारित लघु उद्योगों को बढ़ावा और खाद्य प्रसंकरण उद्योग के विकास के लिए निवेश को बढ़ावा देना चाहिए।

खेती में आत्मनिर्भरता जरूरी है

गांवों में छोटे गोदाम की स्थापना पर बल दिया जाना चाहिए। एम एस पी पर खरीद की आसान प्रक्रिया और साथ ही DD Kisan जैसे चैनलों की गांवों में पहुंच को बढ़ावा मिलना चाहिए। हर पंचायत में एक कृषि सेंटर की स्थापना से खेती में आमूलचूल परिवर्तन आ सकता है। खेती के साथ ही आत्मनिर्भता को बढ़ावा देने के लिए भारत में जो जातिया या बिरादरी पारंपरिक रूप से बढ़ई और अन्य को काम जानते हैं, उन्हें बढ़ावा देना चाहिए। इस के मद्देनजर रोहिणी आयोग और विश्वकर्मा योजना एक शानदार पहल है।

हाल के G 20 सम्मेलन में जिस प्रकार से हस्तशिल्पों की प्रदर्शनी देखी गई वो काबिले तारीफ है। यहां आए कलाकारों ने भी माना की विश्वकर्मा जैसे योजनाओं से उन्हें लाभ हुआ। साथ ही एक जिला एक उत्पाद योजना भी लाभकारी रही है। सरकार किसानों की आय दोगुना करने के मद्देनजर जो भी कदम उठाए हैं, वो सराहनीय है। लेकिन वक्त की जरूरत है कि ये अंतिम किसान तक प्रभावी रूप से लागू हो और किसानों को खेती लाभ का सौदा लगे ताकि नई पीढ़ी गर्व से खेती को अपना पेशा बना सके।

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