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“छत्तीसगढ़ की लोकगीत ददरिया और युवा मन के प्रेम की चर्चा”

Chhattisgarh lokgeet, folk song dadari

Chhattisgarh lokgeet, folk song dadari

इन दिनों एक गाना बहुत सुन रहा हूँ। इस गाने के बोल और धुन दोनों ही दिमाग में अच्छे से बैठ गए हैं। “तोर खुमरी म कलगी झूलय झूलना, कोन बेरा जवारा होही मिलना।” हमारे छत्तीसगढ़ में चरवाहे धूप से बचने के लिए सर पर जो रखते हैं उसे खुमरी कहते हैं। इस लाइन में प्रेमिका अपने प्रेमी के श्रृंगार की तारीफ़ करते हुए पूछ रही है कि आखिर हम कब मिलेंगे। ‘आमा मऊर’ गाने को अपनी आवाज़ एवं संगीत से सजाया है पंडित विवेक शर्मा ने। महिला किरदार को कंचन जोशी ने आवाज़ दिया है। इस गाने को जब पहली दफा सुना तभी इसके बोल मुझे पसंद आए। हालांकि ये शब्द इतने ठेठ छत्तीसगढ़ी थे कि इन्हें समझने क लिए मैंने गाने को लगातार कई बार सुना। जब मुझे कोई गाना पसंद आ जाता है तो मैं उसके लिरिक्स को बिना याद किये नहीं छोड़ता।

लोकगीत से तैयार किया गीत

ये गीत छत्तीसगढ़ के लोकगीत ददरिया से तैयार हुआ। इसके पोस्टर में इसे गड़हा ददरिया कहके प्रस्तुत किया गया है। इसके बोल लिखें हैं मिनेश साहू ने। बेहद लाजवाब शब्दों का चयन उन्होंने किया है। ऐसे शब्द अब नंदाते जा रहे हैं। आइये पहले जानते हैं कि ददरिया लोकगीत क्या होता है। ददरिया एक प्रेम-गीत है जिसमें श्रृंगार की प्रधानता होती है। ददरिया गीत महिला और पुरुष मिलकर या अलग-अलग भी गाते हैं। जब महिला और पुरुष गाते हैं तब ददरिया लोकगीत प्रश्न – उत्तर के रूप में गाया जाता है। ददरिया की लोकधुन इतनी लोकप्रिय और मधुर होती है कि कोई व्यक्ति उसे आसानी से गा सकता है। गाँवों में ददरिया अक्सर महुआ बीनते हुए, धान रोपते हुए, धान काटते हुए, राह में चलते हुए, चक्की पीसते हुए आदि कोई भी काम करते हुए किसी भी समय गाया जाता है। इन गीतों का विषय जीवन की कोई बात हो सकती है जिसमें युवा मन के प्रेम श्रृंगार की चर्चा भी शामिल है।

बेहतरीन गाना और मेरी संगीतकार से मुलाकात

इस गीत में दोनों कलाकारों ने अपने अभिनय से चार चाँद लगा दिया है। विवेक शर्मा ने इस लोकगीत को नए पैकेट में परोसा है। इस गीत के कारण मुझे छत्तीसगढ़ के लोकगीतों के राजा ददरिया को अच्छे से जानने को मिला। इस गाने को कई बार सुनने के बाद मेरा मन हुआ कि अब इसके संगीतकार से भेंट किया जाए। विवेक शर्मा अक्सर नाईट लाइव शोज में बीजी रहते हैं और दिन में उनके रिकॉर्डिंग स्टूडियो में व्यस्तता रहती है। आखिर उनके जन्मदिन के मौके पर मुलाक़ात हुई तो हमारी अच्छी बातचीत हुई। छत्तीसगढ़ी सिनेमा, संगीत और संस्कृति के साथ ही कई अन्य विषयों पर लम्बी बात चली। उनके स्टूडियो में हमने अच्छा वक़्त बिताया और गाने भी सुने।

जबरदस्त पोपुलर हुआ गीत

उन्होंने बताया कि आमा मऊर गाने के रिकॉर्डिंग के समय उन्हें वाइब आया कि यह गाना नहीं चलेगा। कोई इसे नहीं सुनेगा क्योंकि यह नए कलेवर के गानों से कोसो दूर मिट्टी की खुशबू लिए हुए है। लेकिन रिलीज़ के बाद वे चौंक गए। इस गाने ने अभी तक 9 मिलियन व्यूज हासिल कर लिए हैं। वे बताते हैं कि इस गाने ने साबित कर दिया है कि अभी भी हमारे समाज में प्रबुद्ध वर्ग है जो लोक संस्कृति और माटी की महक से जुड़ाव रखते हैं। सभी लोग कमरिया करे लपालप और ले लो पुदीना पर जानवरों की तरह नहीं नाचते। कुछ लोग हैं अभी भी जो अपने मूल से जकड़े हुए हैं। हैं अभी भी वे लोग जो शांति से सुमधुर संगीत के साथ लिरिक्स को सुनना, समझना और व्याख्या करना पसंद करते हैं।

विवेक शर्मा इन दिनों अपने हिंदी गाने की तैयारी में हैं जो बहुत जल्द टी – सीरीज चैनल पर आएगा। छत्तीसगढ़ में गणेशोत्सव के बाद से शर्मा जी नाईट शोज में व्यस्त हों जाते हैं। संगीत तैयार करने में उनके भाई नीलेश शर्मा भी साथ होते हैं।

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