कांग्रेस समर्थित पत्रकारों और कुछ कथित बुद्धिजीवियों एवं विश्लेषकों की राय में I.N.D.I.A गठबंधन उत्तर प्रदेश में सबसे कमजोर है। आइए जानते हैं इसमें कितनी सच्चाई है और इसे क्यों हवा दिया जा रहा है? अगर लोकसभा चुनाव 2014 की अपेक्षा 2019 के परिणाम को देखें तो भाजपा सबसे बुरा उत्तर प्रदेश में हारती है। जहां 2019 में बीजेपी नीत NDA कांग्रेस शासित राज्यों समेत देश भर में एकतरफा जीतती है वहीं यूपी में उसे 2014 की अपेक्षा दोगुने से अधिक सीटों का नुकसान उठाना पड़ता है। गौरतलब हो कि 2014 में बीजेपी नीत NDA यूपी में 7 सीट छोड़कर सारा जीत गई थी वहीं 2019 में उसे 16 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा जो दुगुने से अधिक है।
क्यों कमजोर नहीं है I.N.D.I.A गठबंधन
इसके साथ ही 22 में सम्पन्न विस चुनाव में सपा नीत गठबंधन और भाजपा नीत गठबंधन के बीच मामूली वोटों का अंतर देखा गया है, जिसमें सिर्फ एक बदलाव हुआ है कि सुभासपा एसपी नीत गठबंधन से बाहर चली गई है, तो कांग्रेस इसका हिस्सा बन गई है जो कि राष्ट्रीय राजनीति में सुभासपा की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण हो सकती है। इसके साथ ही पूरे देश में भाजपा विरोधी लहर के चलते अगर 2-4 प्रतिशत वोट भी I.N.D.I.A गठबंधन में शिफ्ट होता है। तो यूपी में लोकसभा चुनाव का परिणाम अभूतपूर्व हो सकता है और I.N.D.I.A गठबंधन 50-60 सीटें आराम से जीत सकता है।
यूपी नहीं है परिवर्तन विरोधी
विदित हो कि यूपी हमेशा परिवर्तन का सारथी रहा है, इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो 1977 और 1989 में भी यूपी विपक्षी राजनीतिक प्रयासों के साथ रहा है। हां इससे जरूर कोई इनकार नही कर सकता कि कांग्रेस जहां भी बीजेपी से वन टू वन फाइट में है , वहां भाजपा से बहुत कमजोर है इसलिए उसे यूपी की चिंता छोड़कर अपनी स्थिती सुधारने की जरूरत है । ( कल द प्रिंट में प्रकाशित योगेन्द्र यादव का लेAख भी अभी हाल में कंडक्ट दो सर्वे को आधार बनाकर कांग्रेस की कमजोरी का इशारा करता है और स्थिति न सुधरने की हालत में भाजपा के तीसरी बार भी सत्ता में आने की चिंता व्यक्त करता है )
क्यों बताया जा रहा है I.N.D.I.A को कमजोर
अब आते हैं दूसरे बिंदु पर कि यूपी में INDIA गठबंधन कमजोर है इसे क्यों हवा दिया जा रहा है ? इसका सीधा और सरल मतलब यही निकाला जा सकता है कि यूपी में समाजवादी पार्टी को कमजोर बताकर यूपी के सर्वमान्य नेता अखिलेश यादव का कद छोटा किया जाय ताकी सपा से अधिक से अधिक सीट शेयर का जुगाड़ किया जा सके। लेकिन इन सभी अफवाहों से दूर हटकर सपा को किसी भी हालत में 65+ सीटों पर चुनाव लड़ना ही ठीक होगा और अगर बीएसपी INDIA गठबंधन का हिस्सा बनती है तो 50+ सीट भी लड़ा जा सकता है। लेकिन अगर सपा इससे अधिक त्याग करती है तो यह INDIA गठबंधन के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।