बिहार के डालमियानगर में रोहतास इंडस्ट्रीज़ के पूर्व कर्मियों को घर खाली करने पड़ रहे हैं, जो डालमियानगर के सर्वेंट क्वार्टर में रह रहे हैं। हाल ही में रोहतास इंडस्ट्रीज़ के दिवालिया और पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद इनसे खाली कराया जा रहा है। ये कहानी अगर एक घर के लिए होती तो फिर भी नज़रंदाज़ किया जा सकता था, पर यहां हजारों की संख्या में लोग हैं जो 50-60 वर्षों से से यहां निवास करते हैं।
क्यों हुई ये समस्या
दरअसल रोहतास इंडस्ट्रीज के बंद होने और उसके liquidation में जाने से यहां के स्थानीय निवासियों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।Liquidation का मतलब है उस कंपनी का वैधानिक समाप्त हो जाना। ऐसे में कंपनी के संपत्तियों को बेच कर उससे मिले धन को बैंक, कर्मचारियों और अन्य बकायदारों को भुगतान किया जाता है और बची हुई राशि को शेयर धारकों के बीच बांटा जाता है। पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद वैध तरीके से भी रहने वाले लोगों को भी खाली करने को कहा गया है। फिर ये लोग इन क्वार्टरों के नीलामी में शामिल हो सकते है।
यहां के स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर कोई कोर्ट, अधिकारी या उच्च पद पर आसीन लोग निर्धारित मूल्य तय किए है कि आप हमारे आवास में रहिए और भाड़ा दीजिए तो वे उनके किरायदार हुए। तो ये unauthorised (अवैध कब्ज़ा धारी) कैसे हुए। यहां तक कि NOC (non objection certificate) के बाद बिजली कनेक्शन भी दिया। तो अब ऐसा क्यों कर रहे है।
क्या कहता है हमारा संविधान
हमारे संविधान में यह वर्णीत हैं कि अगर 11 माह किसी सरकारी आवास में किसी जमीन में रह गए, अगर उसका मालिक उस आवास को बेचना चाहता है। तो पहला हक उस आवास में रह रहे लोगों को मिलना चाहिए। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने फ़ौरी राहत देते हुए ये 11 सितंबर तक बेदखली पर रोक लगा दी साथ ही कहा नीलामी ऐसे हो कि यहां के पूर्व कर्मियों और परिजनों को हटाए बिना नीलामी की परिक्रिया शुरू की जा सके।
BBC की रिपोर्ट को मानें, तो डालमियानगर के वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र मिश्र कहते है कि जब भी कोई कंपनी लिक्विडेशन में जाती है तो पहला लैबिलिटीज वहाँ के कर्मचारियों का होता है। फिर सरकार और फिर अन्य लोगों का होता है। इतना ही नहीं यहां के जेडीयू के जिलाध्यक्ष अजय कुशवाहा कहते हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
सवाल ये है कि अगर हज़ार एकड़ में 100 एकड़ भी जमीन दे दिया जाए तो ये लोग अपना जीवन यापन कर लेंगे। लेकिन अगर इनको खाली करना पड़ा तो कहा जाएंगे ये 1441 घर? क्या इन गरीब,बेबस लोगों के लिए बिहार सरकार उठाएगी कोई ठोस कदम?