हां तुम भूल गए, तुम भूल गए
अपनी आजादी की जन्मतिथि पर तुम
आज फिर से मुझको भूल गए
तुम कहते हो मैं मतवाला था
जो यूं ही फांसी पर झूल गया
क्या तुम्हारे नजरों का मान
मैं जान लगाकर भी न कमा पाया?
मत भूलो की तुम्हारे ही प्राण बचाने खातिर
कितने वीर कुर्बान हुए थे
जिन बहनों ने आहुति दी थी
क्या उनकी लाज बचा पाए?
तुम्हारे अधिकारों की रक्षा खातिर
मैंने देह त्याग दिया
क्या मेरे त्याग का तुम
यही मोल लगा पाए?
जिस आजादी को तुमने टुकड़ों में बांट दिया
और धर्म, मज़हब, ऊंच-नीच का नाम दिया
वह मेरे जीवन की सबसे बड़ी कमाई थी
जिसकी तुमने यह कीमत लगाई थी
वो धरती जिसका कोई तोड़ न था
उसको भी हिस्सों में बांट दिया
अखंड भारत नाम था जिसका
उसको विभाजन का श्राप दिया
घायल था मैं मरा नहीं
मुझको भी जीते जी मार दिया
तुम्हारे समाज की दुर्दशा देख
मैं भीतर से टूट गया ,
यूं लगता है मानो
मेरा सीना किसी ने गोलियों से भून दिया
चाहे ले लो मुझसे मेरी सारी जागीरें,ओहदे
लेकिन बस इतना एक तुम करना अहसान
मुझसे शहादत का दर्जा मत छीनना
मुझसे मेरे शहीद होने का दर्जा मत छीनना।