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हिंदी कविता: कभी तू भी इतनी खास थी!

couple standing together

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कभी वो भी इतनी खास थी मेरे लिए
कि उसकी हर गलती माफ कर दिया करता था
वो जब भी रूठती उसे मना लिया करता था
चाहे गलती उसी की हो, माफी हमेशा मांग लिया करता था मैं
शायद डरता था कहीं खो न दूं उसे
शायद नहीं! ये डर ही था मेरा उसे खोने का।

पर अब क्या फर्क पड़ता है इन सब बातों का
अब उसे छोड़ आगे बड़ चुका हूं
सारी ख्वाहिशों को पीछे छोड़ चुका हूं
हाँ! अब भी साथ तो कई हैं, मगर भरोसा किसी पे नहीं करता
दोस्त तो कई हैं, पर अब प्यार किसी से नहीं करता।

कभी लगता था तुझ बिन जिंदगी कैसे चल पाएगी
बिना तेरे क्या हाल होगा इस राहगीर का
पर अब पीछे देखने की मुझे जरूरत नहीं पड़ती
अकेला ही इतना खुश रहता हूं की तेरा साथ कभी खटकता ही नहीं।

कई बार अभी भी तू सपनों में आती है
आज भी कभी कभी तेरा ख्याल मन में आ जाता है
मगर अब ये यादें गम नही बल्कि सुकून देती हैं
कुछ कर दिखाने की एक नई उमंग देती हैं।

और आज ये वादा करता हूं मैं तुझसे
भले ही तूने फासला कर दिया हो बीच में
मगर एक दिन तू इस फैसले से पछताएगी
मगर एक दिन
न तू इस फासले से पछताएगी।

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