उत्तरप्रदेश की तेजतर्रार अधिकारियों में से एक ऋतु सुहास आज एक चर्चित नाम है। लेकिन यहां तक पहुंचने के सफर में उनकी मां ने एक बड़ा योगदान निभाया। ऋतु सुहास ने मीडिया से बात करते हुए कहा था जब वह परीक्षा के वक्त हताश हो जाती थी तो उनकी मां उन्हें सहारा देती थी। मां हमेशा यह बात कह दी थी कि अगर परीक्षा में सफल नहीं हो पाई तो तुम शिक्षक बन जाना। ऋतु को मां की दी हुई यह प्रेरणा आज भी याद आती है। बेटियों के बारे में कहा जाता है कि वो मां के काफी करीब होती है।
मां बेटी के इस ममतामयी रिश्ते पर हमें एक कविता याद आती है।
पहन कर मेरी सैंडिल
मेरी बिटिया कहने लगी
माँ देखो मैं बड़ी हो गई,
माँ -माँ -माँ -माँ कहती थी
डगमग -डगमग चलती थी
फिर धप्प से गिर कर
टुकर-टुकर मुझे देखती थी,
फिर अपनेआप उठ कर
मानों मुझसे कहने लगी
माँ देखो मैं बड़ी हो गई।